जबलपुर।मेडिकल जांच में चोट घातक नहीं होने के बावजूद धारा 307 के तहत न्यायालय द्वारा आरोप तय किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी. जस्टिस एके पालीवाल की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश कहा है कि अपराध में उपयोग किये गये हथियार तथा शरीर के किस अंग में चोट पहुंचाई गयी है, उसकी प्रकृति के आधार पर हत्या के प्रयास निर्धारित किया जाता है.
याचिका में ये कहा :याचिकाकर्ता राजेश तिवारी निवासी भोपाल की तरफ से दायर की गयी पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि उसके खिलाफ थाना अशोका गार्डन में धारा 307, 324, 506, 34 तथा 25 आर्म्स एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. सीटी स्केन तथा मेडिकल रिपोर्ट में अनुसार पीड़ित को आई चोट से उसकी जान को कोई खतरा नहीं था. इसके बावजूद जिला न्यायालय ने धारा 307 के तहत आरोप तय कर दिए. इसके खिलाफ उसने अपील दायर की थी. अपील के खारिज होने के कारण उक्त पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी है.