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MP High Court: बोरवेल में हो रही मौतों पर हाईकोर्ट सख्त, सीहोर मामले में CS व PS से जवाब तलब

सीहोर जिले में बोरवेल की घटना में 3 वर्षीय मासूम बच्ची की मौत के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव तथा पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि बोरवेल साइलेंट किलर साबित हो रहे हैं. याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.

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MP High Court: बोरवेल में हो रही मौतों पर हाईकोर्ट सख्त

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Published : Jun 13, 2023, 8:09 AM IST

जबलपुर।सीहोर जिले के ग्राम मुगावली में विगत 6 जून को 3 साल की मासूम सृष्टि खेलते समय खेत में खुले हुए बोरवेल के अंदर गिर गयी थी. बच्ची बोलवेल में 50 फीट अंदर जाकर फंस गयी थी. उसे बचाने के लिए रोबोटिक विशेषज्ञों, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कर्मियों की टीम ने मुहिम चलाई. रेस्क्यू आपरेशन में इस्तेमाल की जा रही मशीनों के कंपन के कारण वह बच्ची 100 फीट गहराई तक चली गयी. रेस्क्यू आपरेशन लगभग 50 घंटे तक चला और उसे बच्ची को बेहोशी की हालत में बाहर निकाला गया. उसे उपचार के लिए ले जाया गया और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

बोरवेल में जिंदा दफन हो रहे बच्चे :याचिका में कहा गया था कि बच्चों को जिंदा दफन करने वाले किलर बोरवेल बहुत चिंता का विषय हैं. सूची काफी लंबी है राजकुमार, माही, साई, नदीम, सीमा, फतेहवीर, रितेश और हाल ही में सृष्टि के साथ-साथ कई और खुशमिजाज प्यारे बच्चे की मौत बोरवेल में गिरने के कारण हुई है. कुछ को बचा लिया गया और कुछ इस गहरी, अंधेरी खाई में खो गए. बोरवेल दुर्घटनाएं हमारे समाज के लिए काली छाया हैं. जिससे निर्दोष लोगों की जान को गंभीर खतरा होता है. ऐसी घटनाओं से पूरे देश व परिवारों को असहनीय पीड़ा होती है.

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सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं :बोरवेल की दुर्घटनाएं आमतौर पर लापरवाही, जागरूकता की कमी और अपर्याप्त सुरक्षा उपाय के कारण होती हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए छोटे बच्चों के बोरवेलों और नलकूपों में गिरने के कारण होने वाली घातक दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय करने सभी राज्यों को निर्देश जारी किये थे. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश तथा केंद्र व राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों के बावजूद कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है. सरकार के लिए स्थिति की गंभीरता को पहचानते हुए व्यापक सुरक्षा उपाय के कार्यान्वयन को प्राथमिकता देना अनिवार्य है.

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