जबलपुर। कोरोना मरीजों की आड़ में भोपाल के दो निजी अस्पतालों को करोड़ों रुपए का भुगतान किए जाने का आरोप लगाने वाले मामले में हाई कोर्ट ने जुर्माने की राशि जमा करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने दो जुलाई को एक लाख रुपए के जुर्माने के लिए लगाई गई पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए आवेदक को एक माह में राशि जमा करने की प्रार्थना स्वीकार कर ली है.
क्या है मामला
जनहित याचिका भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता भुवनेश्वर मिश्रा की ओर से दायर की गई थी, जिसमें आवेदक का कहना था कि भोपाल में हमीदिया और AIIMS सरकारी अस्पताल हैं और वहां पर इलाज की बेहतर सुविधाएं भी मौजूद हैं. इसके बाद भी चिरायु और बंसल अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के इरादे से उन्हें कोविड अस्पताल घोषित कर करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा, जो अवैधानिक है. इस मामले में कोर्ट ने पूर्व में सुनवाई पर सरकार को हकीकत बताने के निर्देश दिए थे.
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मामले में आगे हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि यह मामला दुर्भावना से प्रेरित है. दोनों ही अस्पतालों का चुनाव केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक ही किया गया है. जवाब के साथ आकड़ों का हवाला देते कहा गया कि दूसरे राज्यों में गंभीर मरीजों के लिए निजी अस्पतालों को प्रति बेड 18 हजार का भुगतान किया जा रहा है, जबकि इन दोनों अस्पतालों को मात्र 4500 रुपए दिए जा रहे हैं.
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सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मामले पर कड़ा रुख अपनाकर दो जुलाई को एक लाख जुर्माने के साथ याचिका खारिज कर दी थी. ये जुर्माना राशि के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि आवेदक व्यक्तिगत तौर पर उनके खिलाफ शिकायत करता आ रहा है. इतना ही नहीं पूर्व में उनके अस्पताल को लेकर ग्रीन बेल्ट की लिए आरक्षित भूमि पर निर्माण होने को चुनौती दी थी, वह याचिका भी खारिज हो गई थी. जिस पर यह मामला दायर किया गया था.