राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को HC से लगा झटका, मानहानि का मुकदमा रद्द करने की याचिका खारिज
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को हाईकोर्ट से झटका लगा है, उनके मानहानि मामले को निरस्त करने वाली याचिका खारिज हो गई है.
दिग्विजय सिंह की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की
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Published : Jun 13, 2023, 10:56 AM IST
जबलपुर।मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सोमवार को उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मानहानि मामले को निरस्त करने के लिए दिग्विजय सिहं ने राहत चाही थी. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सोमवार को विस्तृत फैसला सुनते हुए याचिका खारिज कर दिया है. अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का ग्वालियर में मुकदमा चलता रहेगा.
दिग्विजय सिंह को लगा झटका: गौरतलब है कि अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने ग्वालियर की कोर्ट में दिग्विजय सिंह के खिलाफ परिवाद दायर किया है, जिसमें दिग्विजय सिंह पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खिलाफ गलत और अनर्गल टिप्पणियां करके मानहानि करने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने 31 अगस्त 2019 में भिंड में एक सभा के दौरान गलत बयानबाजी की थी. इसके खिलाफ दिग्विजय सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
मानहानि मामले में याचिका खारिज: याचिका की सुनवाई के दौरान दिग्विजय सिंह की तरफ से बताया गया कि उनके मानहानि का मुकदमा नहीं बनता. यह भी कहा गया कि परिवादी द्वारा जो सीडी पेश की गई है, वह दिग्विजय सिंह के व्यक्तिगत बयान की सीडी है न की किसी मीडिया में सार्वजनिक तौर पर दिए गए बयान की सीडी है. इसी वजह से मानहानि का मामला नहीं बनता है. याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि इस मामले में कई लोगों ने गवाही भी दी है. अधीनस्थ अदालत में सीडी भी प्रस्तुत की गई है, ट्रायल कोर्ट ने प्रारंभिक जांच के बाद ही सुनवाई के लिए परिवाद स्वीकार किया है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया.
मानहानि मामले को निरस्त करने की याचिका:दरअसल अगस्त 2019 में भिंड के दौरे पर आए दिग्विजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए काम करने का आरोप लगाया था. इस मामले को मानहानि मानते हुए अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499, 500 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ग्वालियर में परिवाद प्रस्तुत किया था. इसी मामले को रद्द करने के लिए दिग्विजय सिंह ने उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ में याचिका लगाई थी.