जबलपुर। मध्य प्रदेश में मोटर व्हीकल एक्ट के नए प्रावधानों के खिलाफ बस ड्राइवर और कंडक्टर्स ने 1 जनवरी की सुबह से हड़ताल शुरु कर दी थी. इस हड़ताल की वजह से पूरे प्रदेश में माल वाहक ट्रक और बस के पहिए थम गए हैं. इसकी वजह से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. बस ड्राइवर और कंडक्टर्स की हड़ताल के खिलाफ में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं लगाई गई थी. इनकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने तुरंत हड़ताल खत्म करवाने के लिए सरकार को आदेश जारी किए हैं.
चालकों की हड़ताल पर लगाई गई याचिका:इस मामले में जबलपुर में दो अलग-अलग याचिकाएं लगाई गई थी. जिसमें ड्राइवर-कंडक्टर्स की हड़ताल को गैरकानूनी मानते हुए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की गई थी. इसमें याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था की हड़ताल की वजह से बहुत सी जरूरी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. इनमें डीजल-पेट्रोल की आपूर्ति शामिल थी. इस हड़ताल के चलते आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यह याचिका समाजसेवी अखिलेश त्रिपाठी की ओर से लगाई गई थी और दूसरी याचिका जबलपुर के समाजसेवी संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से लगाई गई थी. अखिलेश त्रिपाठी की ओर से एडवोकेट पंकज दुबे ने पैरवी की और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने अपना पक्ष रखा.
कोर्ट ने दिए कार्यवाही के आदेश:यह याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ की कोर्ट में लगाई गई थी. याचिका की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश ने कड़ा रवैया अपनाते हुए आदेश दिया है कि सरकार ड्राइवर-कंडक्टर्स की हड़ताल को तुरंत खत्म करवाए और हड़ताल करने वाले संगठन के पदाधिकारी के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्यवाही की जाए. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह पर पैरवी कर रहे थे. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को इस बात का आश्वासन दिलाया है कि वे राज्य सरकार से हड़ताल को तुरंत खत्म करवाने की कोशिश करेंगे. साथ ही हड़ताल कर रहे बस और ड्राइवर के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी.