जबलपुर। महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ के भक्त पूरी तैयारी में हैं. हिंदू पूजा पद्धति में भगवान शिव की पूजा सबसे सरल बताई गई है और यह एकमात्र ऐसी पूजा है जिसे कोई भी उपासक चाहे तो बिना किसी पुजारी के कर सकता है. इसी वजह से हर हिंदू के घर में छोटा शिवालय जरूर मिलेगा. इसके साथ ही चौक चौराहों पर बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे आपको शिवालय आसानी से मिल जाएंगे.
शिव अभिषेक का तरीका:सभी हिंदू देवी देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. अभिषेक भी बड़ा सरल है. थोड़ी सी मिट्टी लेकर भगवान शिव की पिंडी बनाई जाती है और एक ऐसे बर्तन में जिसमें थोड़ा सा जल ठहर सके मिट्टी के बनाए भगवान को विराज दिया जाता है. इसके बाद शुरू होता है अभिषेक करने का सिलसिला. सामान्य तौर पर किसी भी पदार्थ से अभिषेक करने के बाद जल चढ़ाया जाता है, लेकिन प्रक्रिया में सबसे पहले जल, शहद, शुद्ध घी, शक्कर, अभ्रक, भस्म भभूति, सिंदूर, रोली, चंदन, अबीर, गुलाल, दूध और भांग से अभिषेक किया जाता है. चंदन, चावल लगाकर शिव अभिषेक किया जाता है. पूजन के दौरान शिव भक्त ओम नमः शिवाय का जाप करते रहते हैं. भगवान शिव को पंचामृत और पंचमेवा का भोग लगाया जाता है.
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फल फूल का विधान:महाशिवरात्रि की पूजा में भगवान शिव को बेर, आम की मोर, गेहूं की बाली, चने की बाली, धतूरा और अकौवे का फूल चढ़ाया जाता है. यहां भी बहुत स्पष्ट है कि भगवान शिव को कोई विशेष फल फूल की जरूरत नहीं पड़ती. अगर शिवभक्त के पास बेलपत्र और शमी की पत्तियां हो तो पूजा पूर्ण मानी जाती है. भगवान शिव की आरती के लिए पान के पत्ते पर कपूर जलाया जाता है और खुशबू वाली अगरबत्ती जलाकर पूजन किया जाता है.