जबलपुर। राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से नर्सिंग की पढ़ाई अब ऐसी स्थिति में आ गई है कि मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने इसे फिलहाल बंद करने की सलाह दी है और 2023-24 को एक भी एडमिशन ना लेने का प्रस्ताव पारित किया है. इसके बाद भी निजी कॉलेज रजिस्ट्रेशन के नाम पर छात्र-छात्राओं से पैसे लूट रहे हैं. जबकि अभी सरकार की ओर से इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया गया है.
मेडिकल यूनिवर्सिटी का फैसला:मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल का कहना है कि ''अभी तक 2020 की ही परीक्षाएं नहीं हो पाई हैं. ऐसी स्थिति में 2023-24 के लिए नए सत्र में नर्सिंग की छात्र छात्राओं को एडमिशन देना सही नहीं होगा. एक बार पहले 2020 से लेकर 2023 तक के छात्र-छात्राओं की परीक्षाओं को नियमित कर लिया जाए उसके बाद ही नए सत्र में एडमिशन दिया जाना चाहिए. मेडिकल यूनिवर्सिटी ने 2023-24 को 0 ईयर घोषित करने की रणनीति बना ली है और इसे राज्य सरकार के पास भेजा है. यदि कार्यपरिषद में पारित इस प्रस्ताव को राज्य सरकार मोहर लगा देती है तो नर्सिंग की पढ़ाई में 2023 और 24 साल 0 ईयर घोषित हो जाएगा. इसके बाद भी यदि कोई बीएससी नर्सिंग के प्रथम वर्ष में किसी को एडमिशन देता है तो यह पूरी तरह गैरकानूनी माना जाएगा.''
कॉलेजों का रुख: ETV भारत ने जबलपुर के चार निजी कॉलेजों में नर्सिंग के 2023-24 सत्र के लिए एडमिशन की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी ली तो सभी कॉलेजों ने फिलहाल इस सत्र में एडमिशन न देने की बात कही. लेकिन कालेज अभी भी बेरोजगार युवाओं को लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं और इन छात्र-छात्राओं से रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसा वसूला जा रहा है. किसी कॉलेज में ₹1000 और किसी कॉलेज में ₹2000 तक रजिस्ट्रेशन के नाम पर वसूले जा रहे हैं. जबकि कॉलेज प्रबंधन को पता है कि फिलहाल एडमिशन का कोई रास्ता निकलने वाला नहीं है.