जबलपुर। एक अवैध हिरासत में टीआई के खिलाफ मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा पर की गई कार्रवाई के बाद दूसरी चार्जशीट जारी किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जस्टिस सुजय पाल की एकलपीठ ने मामले का निराकरण करते हुए आवेदक को स्वतंत्रता दी है कि वे अपनी आपत्ति संबंधित प्राधिकारी के समक्ष उठाये, जिस पर वह उचित निर्णय लेंगे, इसके बाद ही मामले में जांच अधिकारी की नियुक्ति होगी.
ये मामला वर्तमान में छिंदवाड़ा में पदस्थ एसएचओ कोमल दियावर की ओर से दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि निरीक्षक पद पर रहते हुए उनके खिलाफ शिकायत की गई थी कि उन्होंने एक व्यक्ति को दो दिन तक अवैध रूप से हिरासत मेंं रखा और उसके साथ मारपीट की. मामले की शिकायत पर मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा पर उनके खिलाफ विभागीय जांच हुई और उन्हें बतौर सजा एक वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश दिए.
मानव अधिकार आयोग ने दूसरा पत्र जारी किया कि सिर्फ अवैध हिरासत के तहत ही उनके खिलाफ कार्रवाई की, मारपीट के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई और जिस पर उन्हें दोबारा चार्जशीट जारी कर दी गई, इस घटना के बाद हाईकोर्ट की शरण ली गई है. आवेदक की ओर से कहा गया कि एक ही मामले में दो चार्जशीट देना अवैधानिक है. वहीं शासन की ओर से कहा गया कि भले ही मामला एक है, लेकिन अवैध कस्टडी के मामले में कार्रवाई तो हुई, लेकिन मारपीट के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. इतना ही नहीं सक्षम अथॉरिटी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराने की बजाए मामले में सीधे हाईकोर्ट का रुख कर लिया गया. सुनवाई के बाद न्यायालय ने मामले का निराकरण करते हुए उक्त निर्देश दिये. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी व शासन की ओर से अधिवक्ता जसनीत सिंह होरा ने पक्ष रखा.