जबलपुर। अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर याचिकाओं में कहा गया है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है. सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सडक में कभी भी वाहन रोक देते हैं. शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है.
पूर्व में हुई सुनवाई में ये बताया था :पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ऑटो संचालन के प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिधंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा, जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन लिंक होगा. इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवाहन प्राधिकारियों तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किये गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमीट जारी नहीं किया जायेगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में प्रतिस्थापित किया जायेगा. ये सारे नियम बनाए गए हैं.