जबलपुर। ट्यूशन फीस मामले की सुनवाई के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने अपना फैसाल सुरक्षित रख लिया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिकांश पक्षकारों ने कोरोना काल में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के संबंध में सुझाव पेश किये. स्कूल फीस संबंधित याचिकाओं पर हाईकोर्ट जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ के समक्ष सुझाव पेश किये गए. पक्षकारों के सुझाव सुनने के बाद युगलपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
ट्यूशन फीस मामले में हुई सुनवाई, हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित - Decision in school fee case reserved
महामारी के दौर में ट्यूशन फीस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में फैसला सुरक्षित रख लिया है. अभिभावक ट्यूशन फीस माफ करने का अनुरोध कर रहे हैं. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन को अपना पक्ष रखने का वक्त दिया था.
बता दें कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डाॅ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव सहित ऑनलाइन क्लास, स्कूल फीस के संबंध में 9 याचिकाएं दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि कोरोना काल में स्कूल द्वारा ऑनलाइन क्लास का संचालन किया जा रहा है. ऑनलाइन क्लास के दौरान घंटों मोबाइल, डेस्कटॉप, लैपटॉप पर पढ़ाई करना स्कूली बच्चों की आंखों के लिए खतरनाक है. डब्ल्यूएचओ और नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की आंखों के लिए इन डिवाइस निकलने वाली ब्लू-रे खतरनाक हैं. वहीं निजी स्कूल ऑनलाइन क्लास के नाम पर मनमानी फीस वसूल रहे हैं. प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि स्कूल कोरोना काल में सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं. इस आदेश के समर्थन में मुख्यपीठ जबलपुर की एकलपीठ ने आदेश जारी किये थे.
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस आदेश के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश जारी किये हैं. दोनों आदेश विरोधाभासी होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है. याचिका में मांग की गई है कि इंदौर खंडपीठ द्वारा जारी स्थगन आदेश को निरस्त किया जाये, इंदौर खंडपीठ ने भी विरोधाभासी आदेश के संबंध में दिशा-निर्देश के लिए मुख्यपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए मामले को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे.