जबलपुर। भारत-पाकिस्तान सीमा पर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण के दौरान देसी हॉवित्जर तोप का बैरल फट जाने से सोमवार को तीन लोग घायल हो गए. घायलों की हालत अब स्थिर बताई जा रही है. हादसे को लेकर केंद्रीय सुरक्षा संस्थान के कर्मचारियों ने सवाल खड़े किए हैं. कर्मचारियों की मानें तो जो घटना हुई है, उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है. क्योंकि निजी कंपनियों के हाथ में देश की सुरक्षा सौंपा जाना खतरे से खाली नहीं है.
पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण के दौरान फटा तोप का बैरल, निजी कंपनी पर उठे सवाल - Jabalpur News
रक्षा संस्थानों में क्रियाशील श्रम संगठन एवं फेडरेशन द्वारा जैसलमेर में स्थित पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण के दौरान देसी हॉवित्जर तोप का बैरल फटने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. जबलपुर की आर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करने वाले संगठनों का मानना है कि निजी क्षेत्र रक्षा उपकरणों के निर्माण गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखते, लिहाजा इस तरह के हादसे होते हैं.
सैन्य सूत्रों का कहना है कि पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में देश में ही निर्मित दो कंपनियों की 155 एमएम हॉवित्जर तोप का परीक्षण चल रहा था. परीक्षण निजी कंपनी सहित डीआरडीओ व सैन्य विशेषज्ञों की देखरेख में किया जा रहा था. परीक्षण के दौरान तोप से गोला दागते ही ये वहीं पर फट गया. इससे बैरल फट गई और इसके पास में खड़े तीन विशेषज्ञ घायल हो गए.
जानकारी के मुताबिक ये तोप सरकारी फैक्ट्री ने नहीं बल्कि निजी कंपनी द्वारा बनाई गई थी. तोप की अनुमानित कीमत 3 हजार 364 करोड़ रुपए बताई जा रही है. इससे पहले जबलपुर में भी निजी क्षेत्र की कंपनी द्वारा बनाए गए मल्टी मोड हैंडग्रेनेड टेस्टिंग के दौरान फट गया था. जिससे दो जवान घायल हो गए थे. रक्षा संस्थानों में क्रियाशील श्रम संगठन एवं फेडरेशन द्वारा इन मुद्दों को समय-समय पर सरकार के सामने रखती रही है. ये संगठन रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्रों की एंट्री का विरोध करते आए हैं.