जबलपुर। डॉक्टरी में डॉक्टरी मतलब डॉक्टरेट इन मेडिसिन जिसे हम डीएम डिग्री के नाम से जानते हैं. मेडिकल एजुकेशन में यह दुनिया की उच्चतम पढ़ाई में से एक है.
फेफड़े संबंधी बीमारियों के इलाज में जबलपुर का स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन भारत का एक महत्वपूर्ण अस्पताल बन गया है. नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस अस्पताल के लिए डीएम की एक साथ 6 सीटें एलॉट की है.
डॉक्टरेट इन मेडिसिन:डीएम की पढ़ाई के लिए एक छात्र को एमबीबीएस के बाद एमडी की पढ़ाई करनी पड़ती है और जब स्नातकोत्तर की डिग्री में अच्छे प्रतिशत आते हैं और एक कंपटीशन को निकालने के बाद छात्र का सिलेक्शन डीएम लेवल की पढ़ाई के लिए होता है. डॉक्टरेट इन मेडिसिन की पढ़ाई अध्ययन और अनुभव के आधार पर की हुई पढ़ाई होती है. इसके लिए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर लेक्चरर के अलावा एक ऐसा Super Specialty स्तर का अस्पताल होना जरूरी है जिसमें एक विशेष इलाज के लिए अत्याधुनिक उपकरण भी मौजूद हों और जबलपुर में फिलहाल ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
फेफड़ों की बीमारियों का बेहतर इलाज: जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की इन्हीं सब सुविधाओं का अध्ययन बीते दिनों नेशनल मेडिकल कमिशन की टीम ने किया था. इसके बाद मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को पल्मोनरी मेडिसिन के क्षेत्र में 6 छात्रों को डीएम स्तर की पढ़ाई करवाने की अनुमति दी है. स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र भार्गव ने बताया कि पूरे देश में पहली बार किसी संस्थान को एक साथ 6 सीटें दी गई हैं. डीएम की 6 सीटें आने के बाद फेफड़ों संबंधी बीमारी के लिए दुनिया का सबसे बेहतर इलाज जबलपुर के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन अस्पताल में मिल सकेगा. इससे आम जनता का पैसा और समय बच सकेगा.