Jabalpur News : जबलपुर पुलिस सख्त, शांतिपूर्वक चुनाव करवाने के लिए 14 हजार लोगों को बाउंड ओवर किया, आदतन अपराधी जेल भेजे
चुनाव में वोटर को प्रभावित करने के लिए पैसा, शराब के साथ ही गुंडागर्दी और बदमाशों का भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि लोग डर जाएं और डर कर वोट करें. प्रशासन के पास ऐसे उपद्रवी लोगों का डाटा होता है और इनको नियंत्रण करने के लिए बाउंड ओवर जैसी कार्कवाई की जाती है. जबलपुर में पुलिस ने 14 हजार लोगों को बाउंड ओवर किया है.
शांतिपूर्वक चुनाव करवाने के लिए 14 हजार लोगों को बाउंड ओवर किया
शांतिपूर्वक चुनाव करवाने के लिए 14 हजार लोगों को बाउंड ओवर किया
जबलपुर।भारतीय दंड संहिता की धारा 122 बाउंड ओवर को समझाती है. इसके तहत ऐसे लोग जो शांति भंग कर सकते हैं, उनसे एक लिखित सहमति मांगी जाती है कि वे जानबूझकर शांतिभंग नहीं करेंगे और यदि वे ऐसा करते हैं तो उन्हें सजा दी जा सकती है. कई बार इसमें पैसे जमा करवा कर भी बाउंड भरवारा जाता है लेकिन चुनाव के दौरान यह एक सहमति होती है. दरअसल, प्रशासन का ऐसा मानना है कि जो एक बार आपराधिक कृत्य में शामिल रहा है, सामान्य तौर पर वही दोबारा भी हरकत करता है. एक बार की हरकत में वह चिह्नित हो जाता है. इसलिए उसे प्रशासन की ताकत के जरिए रोका जा सकता है.
आदतन अपराधियों को जेल भेजा :जबलपुर पुलिस अधीक्षक तुषारकांत विद्यार्थी का कहना है कि उन्होंने शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए लगभग 14 हजार लोगों को बाउंड ओवर किया है. ये वे लोग हैं जिन्होंने कभी ना कभी कोई ना कोई अपराध किया है या यह शांतिभंग के किसी मामले में जुड़े रहे हैं. इसके अलावा 2 हजार से ज्यादा आदतन अपराधियों को जेल पहुंचा दिया गया है.
शराब तस्करी को लेकर सख्त :चुनाव में वोटर को प्रभावित करने के लिए शराब भी एक बड़ी भूमिका निभाती है और जबलपुर के आसपास के इलाकों से बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी की जा रही है. यह शराब जबलपुर के कई इलाकों में स्टोर की जा रही है ताकि वोट डालने के ठीक पहले इसे बनता जा सके. जबलपुर पुलिस का दावा है कि वह लगातार ऐसी कार्रवाई कर रही है, जिससे शराब की यह तस्करी रोकी जा सके. एक लग्जरी कर में बड़े पैमाने पर शराब जब्त की गई.
नेताजी के वाहनों पर सख्ती :जबलपुर पुलिस वाहनों की नंबर प्लेट पर लगी राजनीतिक दलों की नामपट्टियां निकलवा रहा है. गाड़ियों की चेकिंग की जा रही है और किसी को भी बिना अनुमति किसी राजनीतिक दल का प्रचार करने की छूट नहीं दी जा रही है. इसके लिए चेक पॉइंट बनाकर आदर्श आचार संहिता को लागू किया जा रहा है. बता दें कि यह जमाना सोशल मीडिया का है. सोशल मीडिया के जरिए वोटर को प्रभावित करने के लिए जो काम किए जा रहे हैं, उन पर सीधे तौर पर प्रशासन का पूरा नियंत्रण नहीं है. हालांकि यह 2023 का वोटर है और यह परंपरागत वोटर से बहुत समझदार भी है. इसलिए इससे बहुत आसानी से बरगलाया नहीं जा सकता.