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जबलपुर से छिनी वंदे भारत!, राजनीतिक विफलता या कुछ और, सियासी हल्कों में चर्चा तेज - वंदे भारत ट्रेन भोपाल से शुरू

भोपाल से वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत होने के बाद जबलपुर के लोग मायूस से नजर आ रहे हैं. पहले इस ट्रेन को जबलपुर से इंदौर के बीच चलाए जाने की चर्चा तेज थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जानें क्या रही वजह..

vande bhart train
वंदे भारत ट्रेन जबलपुर

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Published : Apr 1, 2023, 5:35 PM IST

जबलपुर।पीएम मोदी ने शनिवार को एमपी की पहली वंदे भारत ट्रेन को भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखा दी. यह ट्रेन रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के बीच चलेगी. वंदे भारत ट्रेन के भोपाल से शुरू होने के बाद जबलपुर के लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि लंबे समय से इस बात की चर्चा गरम थी कि इंदौर और जबलपुर के बीच में एक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाएगी. रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के सदस्य डॉक्टर सुनील मिश्रा का कहना है कि जबलपुर के लोग इस आधुनिक ट्रेन के लिए इंतजार ही करते रह गए और दिल्ली-भोपाल के बीच यह ट्रेन शुरू हो गई जबकि इसकी चर्चा जबलपुर और इंदौर के लिए की गई थी. उनका कहना है कि एक बार फिर इसका प्रयास किया जाएगा.

मांग रखने में असफल रहे प्रतिनिधि: राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा भी अब तेजी से गर्म है कि जबलपुर के राजनेताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाया इसलिए यह रेलगाड़ी जबलपुर से शुरू नहीं हो सकी. लोगों का यहां तक कहना है कि जबलपुर के सांसद जबलपुर की इस मांग को प्रधानमंत्री के सामने नहीं रख पाए. लोगों में इस बात की भी चर्चा है कि यदि मध्य प्रदेश को भोपाल से वंदे भारत मिल गई है तो अब जल्दी ही इसका दूसरा रैक मिल पाना संभव नहीं है क्योंकि भारत में अभी वंदे भारत रेलगाड़ी के कोच इतनी तेजी से नहीं बनाए जा रहे हैं कि इसे ज्यादा स्थानों से चालू किया जा सके.

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शहरों के बीच होता तालमेल: वंदे भारत ट्रेन की आधुनिकतम रेलगाड़ियों में से है इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे की है. वंदे भारत से जबलपुर से इंदौर के बीच का सफर लगभग 4 घंटे में पूरा होगा. इससे दोनों ही शहर के औद्योगिक विकास में मदद मिलेगी. इसके साथ ही यदि ट्रेन भोपाल से होते हुए चलती तो इन तीनों शहर के बीच अच्छा तालमेल हो जाता और एक दूसरे से यह तीनों शहर मात्र 2 घंटे की दूरी पर होते. इससे ना केवल समय बस था बल्कि सड़कों पर भी यातायात के दबाव को कम किया जा सकता था. लेकिन वंदे भारत रेलगाड़ी कहां से चलाई जानी है इसका फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय से होता है.

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