High Court Hearing: डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के खिलाफ जांच के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, जानें अदालत ने क्या दिया आदेश
एमपी हाईकोर्ट ने निशा बांगरे मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए, शासन को 10 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. आइए जानते हैं, कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा..
मप्र हाईकोर्ट ने निशा बांगरे मामले में सुनाया आदेश+
बैतूल।एपमी हाईकोर्ट ने निशा बांगरे की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन को 10 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने सामान्य प्रशासन विभाग को आदेश दिया है कि वह निशा बांगरे के खिलाफ चल रही जांच को दस दिन में खत्म कर इस्तीफे पर अंतिम फैसला करे. इसके क्रियान्वयन की रिपोर्ट 9 अक्टूबर तक कोर्ट के सामने पेश करे. इस आदेश के बाद अब निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार हो जाने की संभावना बढ़ गई है.
बांगरे के द्वारा बैतूल जिले की आमला विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शासकीय सेवा से इस्तीफा देने के बाद ही उनका नामांकन पत्र स्वीकार किया जा सकता है. शासन स्तर से उनके खिलाफ चल रही जांच का हवाला देकर इस्तीफा मंजूर नहीं किया और न्यायालय में जवाब भी प्रस्तुत कर दिया था.
हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक- एक अंतरिम उपाय के रूप में यह निर्देश दिया जाता है कि यदि याचिकाकर्ता आज से 3 दिनों के भीतर प्राधिकरण यानी प्रतिवादी नंबर 2 यानी सामान्य प्रशासन विभाग के पास जाता है और आरोपों को स्वीकार करता है, तो प्रतिवादी नंबर 2 अगले 10 दिनों की अवधि के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही समाप्त करेगा. लिस्टिंग की अगली तारीख तक उसका परिणाम रिकॉर्ड पर लाएगा.
इधर, डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की मानें तो कोर्ट के इस आदेश के बाद उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग के सामने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है. इसके बाद कोर्ट के आदेश के तहत विभाग को अब 6 अक्टूबर तक उनके इस्तीफे के संदर्भ में अंतिम निर्णय लेना पड़ेगा.
निशा बांगरे ने कोर्ट को क्या बताया: डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित विद्वान वरिष्ठ वकील का कहना है कि इस मामले को 1 सितम्बर 2023 को इस न्यायालय द्वारा सुनवाई के लिए लिया था. इस न्यायालय ने उत्तरदाताओं के रुख पर विचार करते हुए कहा कि “दिनांक 24.1.1973 के परिपत्र के संदर्भ में, याचिकाकर्ता द्वारा की गई. इस्तीफे की प्रार्थना को तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता, जब तक कि याचिकाकर्ता को जारी किए गए आरोप-पत्र पर निर्णय नहीं हो जाता”, उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया और आगे अंतरिम निर्देश जारी किया कि उत्तरदाता अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं करेंगे. इस न्यायालय की अनुमति के बिना कोई अंतिम आदेश पारित करें.
यह भी तर्क दिया गया है कि याचिकाकर्ता को आरोप-पत्र प्राप्त हो गया है और वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्वीकार करना चाहती है. ऐसी स्थिति में, संबंधित प्राधिकारी को 7 दिनों की अवधि के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पर अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए. वह तारीख जब याचिकाकर्ता उपस्थित होता है और आरोप स्वीकार करता है.