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PM की 'सौभाग्य योजना' चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट! 6 जिलों के 79 अधिकारियों ने लगाया करोड़ों का चूना, मामले की जांच लगभग पूरी

मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सौभाग्य योजना की जांच लगभग पूरी हो चुकी है. मामले में 6 जिलों के कुल 79 अधिकारी आरोपी पाए गए हैं. वहीं करोड़ों के इस घोटाले को कांग्रेस अब हाई कोर्ट ले जाने की भी तैयारी में है.

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सौभाग्य योजना

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Published : Jul 20, 2021, 8:11 PM IST

जबलपुर।मध्य प्रदेश में हर घर तक बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री की सौभाग्य योजना लाई गई. घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए करीब 564 करोड़ रुपए कर्च किए जाने थे. लेकिन योजना शुरू होते ही घोटालों की भेंट चढ़ गई. 6 जिलों में करीब 29 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर हुआ था. जिसमें अधिकारी, इंजीनियर और ठेकेदार सहित कुल 79 लोगों को आरोपी पाया गया. अब मामला की जांच लगभग पूरी हो गई है. दूसरी तरफ इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस भी कोर्ट जाने की तैयारी में है. कांग्रेस ने मामले से जुड़े कई अहम दस्तावेज निकाले हैं.

6 जिलों में उजागर हुआ था घोटाला

सौभाग्य योजना के तहत जबलपुर सहित 21 जिलों के करीब डेढ़ लाख ऐसे घर और कंपनी चिन्हित किए गए, जहां बिजली पहुंचानी थी. इसके लिए करीब 564 करोड़ रुपए का खर्चा था. लेकिन सौभाग्य योजना के शुरू होते ही धीरे-धीरे यह घोटालों की भेंट चढ़ गई. 6 जिलों में करीब 29 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर हुआ है. जिसमें बिजली विभाग के अधिकारी सहित कई ठेकेदारों की मिलीभगत सामने आई.

मामले की जांच जारी

मामले को कोर्ट लेकर जाएगी कांग्रेस

प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना शुरू होते ही घोटाले की भेंट चढ़ गई. मध्यप्रदेश में सौभाग्य योजना में हुई गफलत में पूर्व क्षेत्र कंपनी की प्रारंभिक जांच में सीधी, सिंगरौली, मंडला और डिंडौरी जिले में अकेले 29 करोड़ रुपए से ज्यादा का भ्रष्टाचार उजागर हो चुका है. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सौरभ शर्मा ने सौभाग्य योजना में हुए घोटाले के दस्तावेज भी हासिल किए हैं. जिसे वह जल्द ही हाई कोर्ट ले जाने की तैयारी में हैं.

कांग्रेस जाएगी कोर्ट

मामले में कई अधिकारी बने आरोपी

सौभाग्य योजना में विद्युत विभाग के अधिकारी और ठेकेदारों ने जमकर घोटाला किया. जिनके खिलाफ राज्य सरकार ने जांच शुरू करा दी है. जिसमे की कई बड़े अधिकारियों सहित 79 इंजीनियर और ठेकेदारों के खिलाफ जांच लगभग पूरी हो गई है. वहीं इस घोटाले से जिन ठेकेदारों का कोई मतलब नहीं था, उनका भी भुगतान सरकार ने रोक दिया था. लिहाजा वह ठेकेदार भी परेशान होते रहे हैं, हालांकि अब उनको राहत दी जा रही है और रुका हुआ भुगतान जल्द किया जाएगा.

'सौभाग्य योजना' चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट

2017 में आई थी सौभाग्य योजना

मध्यप्रदेश में 2017 में सौभाग्य योजना को बिजली कंपनियों द्वारा सालभर में पूरा करना था. जिसके चलते कंपनी ने अधिकारियों पर जल्द काम करने का दबाव बनाया. जल्दबाजी में कई जिलों में सौभाग्य योजना कागजों में तो पूरी हुई पर जमीनी स्तर पर घरों तक बिजली कनेक्शन नहीं पहुंचा. तत्कालीन ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने विधानसभा में सौभाग्य योजना को लेकर सवाल भी उठाए थे.

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जिसके जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने कहा कि मध्य क्षेत्र में गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना में जनवरी और फरवरी 2020 में जांच प्रारंभ हुई है. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 11 गांव में जांच हो रही है. इधर पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में मंडला, डिंडौरी, सीधी, सतना, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, सागर, दमोह, रीवा, अनूपपुर, उमरिया और शहडोल जिले में सौभाग्य योजना के तहत गड़बड़ी हुई है. सौभाग्य योजना में पूर्व क्षेत्र कंपनी की प्रारंभिक जांच में सीधी, सिंगरौली, मंडला और डिंडौरी जिले में अकेले 29 करोड़ रुपए से ज्यादा का भ्रष्टाचार उजागर हो चुका है.

6 जिलों के 79 अधिकारियों ने लगाया करोड़ों का चूना

सबसे ज्यादा सिंगरौली में होना था खर्च

बिजली कंपनी ने अपने प्रस्ताव में हर जिले में लाइन, ट्रांसफॉर्मर, पोल लगाने की योजना बनाई है. 11 केवी लाइन 4260 किमी क्षेत्र में बिछाई जाएगी. 5388 विद्युत वितरण ट्रांसफॉर्मर भी स्थापित होंगे. वहीं घरेलू लाइन 7250 किलोमीटर की लंबाई में बिछाई जाना है. इस कार्य के लिए करीब 564 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित किया गया है. सौभाग्य योजना के तहत सबसे ज्यादा 85 करोड़ रुपए सिंगरौली जिले में खर्च होना प्रस्तावित था. सिंगरौली में 12 हजार से ज्यादा घरों में सौभाग्य योजना के तहत बिजली पहुंचाई जानी थी. वहीं प्रदेश के अभी भी करीब डेढ़ लाख उपभोक्ताओं को बिजली नहीं मिल पाई है.

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