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Jabalpur Nafis System पुलिस के लिए वरदान बना नेफिस सिस्टम, आखिर कैसे शातिर बदमाश तक पहुंचती है पुलिस - jabalpur police got success

इस दुनिया में लोगों के चेहरे मिल सकते हैं लेकिन हाथों की लकीरें कभी नहीं मिल सकती हैं. यही लकीरें इंसान की पहचान होती हैं अब इन्ही लकीरों के जरिए पुलिस अपराधियों तक पहुचने में कामयाबी हासिल कर रही है. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पुलिस ने देशभर के अपराधियों का एक ऐसा डाटा कलेक्ट कर लिया है जिसके जरिए अब कोई भी अपराधी पुलिस की निगाहों से बच नहीं सकता.

Nafis System helpful in catching criminals
पुलिस के लिए वरदान बना नेफिस सिस्टम

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Published : Nov 24, 2022, 11:01 PM IST

जबलपुर।कहते हैं अपराधी कितना भी शातिर क्यों ना हो कानून की निगाहों से नहीं बच सकता है. जबलपुर पुलिस (Jabalpur Police Got Success) एक ऐसे ही तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम यानी नेफिस (National Automated Fingerprint Identification System).नेफिस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो पुलिस के लिए वरदान और अपराधियों के लिए काल बन गया है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए पुलिस अब किसी भी शख्स की पहचान उसके बैकग्राउंड के आधार पर आसानी से कर सकती है.

पुलिस के लिए वरदान बना नेफिस सिस्टम

ऐसा करने वाला पहला जोन बना जबलपुर: पुलिस ने हाल ही में सॉफ्टवेयर के जरिए कई अनसुलझे मामलों को आसानी से सुलझा लिया है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से एक क्लिक करने पर अपराधी की पूरी कुंडली खुल जाती है. नेफिस सॉफ्टवेयर में वैसे तो पूरे देश के अपराधियों का रिकॉर्ड दर्ज है, लेकिन जबलपुर जोन के छोटे-बड़े करीब एक लाख अपराधियों के फिंगर प्रिंट के साथ पूरा डाटा अपलोड किया जा चुका है. इनमें जबलपुर के करीब 30 हजार अपराधी भी शामिल हैं. पुलिस अधिकारियों का दावा है कि पूरे देश में जबलपुर ऐसा पहला जोन बन गया है, जिसने प्रथम चरण के परीक्षण में ही नेफिस के माध्यम से तीन अज्ञात मामलों को हल कर दिया है.

फिंगरप्रिंट के जरिये अपराधी तक पहुंचती है पुलिस

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फिंगरप्रिंट के जरिये अपराधी की हो जाएगी पहचान:कुछ साल पहले तक पुलिस और फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ स्याही से पेपर में अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेते थे, जिनको फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ स्वयं पूर्व से एकित्रत कर रखे गए अपराधियों के फिंगर प्रिंट से मिलान करते थे. लेकिन अब नेफिस साफ्टवेयर में अपराधियों के फिंगर प्रिंट का डाटा एकत्रित किया गया. इसमें ऐसे अपराधियों को शामिल किया गया है जो सजायाफ्ता हैं किसी ना किसी अपराध में जेल जा चुके हैं. इस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी वारदात के बाद मौके पर मौजूद मिले फिंगरप्रिंट के आधार पर घटना को अंजाम देने वाले अपराधी तक पहुंचा जा सकता है, उसकी पहचान मिल सकती है.

पुलिस की निगाहों से बच नहीं सकता अपराधी

पुलिस की निगाहों ने नहीं बच पाएंगे अपराधी: हाल ही में शिल्पा झारिया हत्याकांड में भी अपराधी ने अपनी पहचान छुपाई थी लेकिन इस सॉफ्टवेयर के जरिए अपराधी की असली पहचान तक आसानी से पहुंच गई. कुल मिलाकर कहा जाए तो अपराधी कितना भी शातिर क्यों ना हो और वह पुलिस की निगाहों से नहीं बच पाएगा, एक बार अपराध को अंजाम देने के बाद उसकी पूरी कुंडली पुलिस के पास होगी. अब वह देश में किसी भी कोने में चला जाए और पहचान छुपाकर अपराध को अंजाम देगा तो कानून के शिकंजे से नहीं बच पाएगा.

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