जबलपुर।इस मामले में अदालत को अभियोजन पक्ष की ओर से बताया गया कि 9 जून 2019 को पीड़िता ने पनागर थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी कि उसके पिता उसकी मां को हमेशा परेशान करते हैं. उसकी मां को अकेली मजदूरी करने भेजता था. 6 अक्टूबर 2017 को उसकी मां उसके छोटे भाई को लेकर मामा के गांव गई थी और वह अपने पिता के साथ अकेली थी. तड़के 4 बजे उसके पिता ने अश्लील हरकते करते हुए धमकी देकर उसके साथ गलत काम किया. उसने डर के कारण किसी को कुछ नहीं बताया. इतना ही नहीं 6 माह पूर्व उसकी मां ने पिता को उसके साथ गलत काम करते हुए देख लिया था. तब उसकी मां ने उसके पिता को डांटा तो उस समय गलती हो गई, कहकर सभी को चुप कर दिया.
मां को सुनाई आपबीती :9 जून 2019 को उसके पिता रात्रि में 12:30 बजे घर आये और उसकी मम्मी के साथ मारपीट करने लगे तो मां घर से बाहर निकली और छोटा भाई भी मां के साथ बाहर आ गया. तब उसके पिता ने घर का दरवाजा बंद कर दिया और उसके साथ मारपीट कर रात्रि 2 बजे से सुबह तक उसके साथ कई बार गलत काम किया. सुबह मां के लौटने पर उसने अपनी आपबीती बतायी. शिकायत पर पुलिस ने दुराचार व पाक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर अदालत के समक्ष चालान पेश किया. सुनवाई दौरान पेश किये गये गवाह व साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए अदालत ने आरोपी पिता को उक्त कठोर कारावास की सजा सुनाई. मामले में शासन की ओर से अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी स्मृतिलता बरकड़े ने पक्ष रखा.
ऑटो रिक्शा चालकों की मनमानी पर सुनवाई :प्रदेश में ऑटो रिक्शा चालकों द्वारा सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने तथा यातायात नियमों का पालन नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गयी थीं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा युगलपीठ को सुनवाई के दौरान पाया कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं किया जा रहा है. युगलपीठ ने कहा कि याचिका पिछले दस साल से लंबित हैं, क्यो नहीं परिवाहन सचिव, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर तथा आरटीओ के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए.
Jabalpur Crime News: नाबालिग के दुष्कर्मी को कोर्ट ने सुनाई 20 साल सश्रम कारावास की सजा
सरकार ने ये दलील दी :सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच तथा अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं में शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने कहा कि उक्त याचिका परिवाहन सचिव, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर तथा आरटीओ अपने कर्तव्य निष्पादन में असफल रहे हैं. सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि जबलपुर में अवैध रूप से संचालित डेढ़ सौ ऑटो रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की है. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अधिवक्ता सतीश वर्मा ने पैरवी की.