चमत्कार से ही होगा निदान! बाबा की शरण में IPS साकेत पांडे, धीरेंद्र शास्त्री की तर्ज पर पर्चा निकालते हैं स्वामी आनंदेश्वर - जबलपुर स्वामी आनंदेश्वर महाराज
जबलपुर के एक आईपीएस अफसर साकेत पांडे एक चमत्कारी बाबा के सामने सार्वजनिक रूप से शरणागत नजर आए. एक आईपीएस का एक बाबा के सामने इस तरह से शरणागत होना सामान्य व्यवहार नहीं माना जा रहा. इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
चमत्कारी बाबा की शरण में आईपीएस साकेत पांडे
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Published : Apr 15, 2023, 10:06 PM IST
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Updated : Apr 15, 2023, 10:23 PM IST
चमत्कारी बाबा की शरण में आईपीएस साकेत पांडे
जबलपुर।बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की तर्ज पर जबलपुर में एक नए बाबा ने दरबार लगाया है. इनका नाम स्वामी आनंदेश्वर बताया जा रहा है. यह भी धीरेंद्र शास्त्री की ही तरह हनुमानजी के भक्त बताए गए हैं और बिल्कुल उसी तरीके से सामने बैठे हुए भक्तों की जरूरत के हिसाब से पर्चा बनाते हैं. स्वामी आनंदेश्वर उस समय चर्चा में आ गए जब इनके दरबार में मध्य प्रदेश पुलिस के एक आईपीएस अफसर अपनी समस्याओं को लेकर शरणागत नजर आए.
जबलपुर की छठवीं बटालियन में डीआईजी पोस्ट पर काम कर रहे साकेत पांडे, स्वामी आनंदेश्वर महाराज के दरबार में फरियादी बनकर पहुंचे. एक आईपीएस ऑफिसर एक बाबा के सामने पूरी तरह से शरणागत थे. इन्होंने स्वामी आनंदेश्वर महाराज से पहले अपने परिवार की समस्याओं पर चर्चा की, लेकिन बाद में यह चर्चा डीआईजी साकेत पांडे की नौकरी पर आने लगी और उनके ट्रांसफर और प्रमोशन पर चर्चा होने लगी. बाबा ने नहीं बताया कि अभी इसमें कितना समय है.
आईपीएस पर उठे सवाल: भारत में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार मिला हुआ है. लेकिन सिविल सेवा में काम करने वाले लोगों को कोड ऑफ कंडक्ट का पालन करना होता है और इसके तहत उन्हें अपने पद की गरिमा के अनुसार सार्वजनिक व्यवहार करना पड़ता है. एक आईपीएस का एक चमत्कारी बाबा के सामने इस तरह से शरणागत होना सामान्य व्यवहार नहीं माना जा सकता.
चमत्कार से ही होगा निदान!धार्मिक चमत्कार इन दिनों लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. इनकी शुरुआत राजनीतिक लोगों ने अपने निजी फायदे के लिए की थी. लेकिन अब इसका असर पूरे समाज पर दिख रहा है. लोगों को लगता है कि उनकी समस्याओं का निदान किसी चमत्कार से ही होगा. सामान्य आदमी को दिल बहलाने के लिए यह दरबार ठीक थे, लेकिन समाज के सबसे ताकतवर लोग जब इन दरबारों में पहुंचते हैं तो आम आदमी कुछ ज्यादा ही प्रभावित हो जाता है. लेकिन लगता है कि रात की कोई सुबह नहीं.