जबलपुर।शहर के सतना बिल्डिंग निवासी सतीश वर्मा की ओर से साल 2014 में उक्त अवमानना याचिका दायर की गई थी. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर हाईकोर्ट ने भी साल 2018 में संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. इसके अलावा एक अन्य जनहित याचिका भी दायर की गयी थी. याचिकाओं पर पूर्व में संयुक्त रूप से हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सार्वजनिक स्थलों व सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश का पूर्णतः पालन नहीं किया गया है.
64 अवैध धार्मिक स्थल बाधक बने हैं :कोर्ट को बताया गया था कि रोड चौड़ीकरण, नाली निर्माण या फुटपाथ में 64 अवैध धार्मिक स्थल बाधक बने हुए हैं. जिला कलेक्टर राजनीति दवाब के कारण अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने से पीछे हट रहे हैं. कैंटोनमेंट और रेलवे और आर्मी एरिया के भी अवैध धार्मिक स्थल कलेक्टर जबलपुर की उदासीनता के कारण नहीं हटाए जा सके हैं. हटाये गये 11 अवैध धार्मिक स्थलों का पुनः निर्माण किया जा रहा है. सरकार की तरफ से पेश रिपोर्ट में बताया गया कि कोविड के कारण कार्रवाई रोक दी गयी थी, जिसे पुनः प्रारंभ किया जाएगा.
पुराने हटाए नहीं, नए और बन गए :युगलपीठ ने सरकार को कार्रवाई के लिए 4 सप्ताह का समय प्रदान किया था. याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा ने बताया कि अवमानना याचिका 2014 से लंबित है और अभी तक सड़क किनारे और सरकारी जमीन पर बने मंदिर मजार हटाए नहीं जा सके हैं. कलेक्टर जबलपुर राजनैतिक दबाव में कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. पुराने हटाना तो दूर नए और बना दिए गए हैं. जिसकी शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं की जाती है. कुछ स्थानों पर फ्लाईओवर और चौराहों का विस्तारीकरण रुका पड़ा है. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कलेक्टर व निगमायुक्त की तरफ से तरफ से आदेश के परिपालन हेतु समय प्रदान करने आवेदन पेश किया गया, जिसे खारिज करते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा.