जबलपुर।मप्र हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में बंदियों की आसमयिक मौत के मामले पर राज्य सरकार को ताजा स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने बंदियों के स्वास्थ व उपचार के संबंध में भी फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को दिया था निर्देशः गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर 2017 को बंदियों की जेलों में हुई मौतों को चुनौती देने वाले एक मामले पर फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को कहा था कि वर्ष 2012 से 2015 के बीच जेलों में बंदियों की हुई मौत के मामले पर संज्ञान लेकर सुनवाई करे. यदि पीड़ित परिवारों को कम मुआवजा मिला है, तो उन्हें उपयुक्त मुआवजा दिलाया जाए. साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यह निर्देश भी दिए थे कि किसी भी प्रकार की समस्या आने पर देश के सभी हाईकोर्ट उचित आदेश पारित कर सकते हैं.
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हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने दायर की थी याचिकाः सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजे गए मामले पर हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की. साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह सचिव, जेल विभाग के प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी जेल को मामले में पक्षकार बनाया था. इस मामले पर हाईकोर्ट ने 22 सितंबर 2017 को सरकार से वर्ष 2012 से वर्ष 2015 के बीच हुईं बंदियों की मौत का आंकड़ा पेश करने कहा था. याचिकाकर्ता विजेंद्र सिंह ने केंद्रीय जेल में निरुद्ध कैदियों को उपचार नहीं मिलने के संबंध में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि कई कैदियों के आंख में दिक्कत है. जिनका उपचार नहीं करवाया जा रहा है. जेल में निर्धारित संख्या में डाॅक्टर भी पदस्थ नहीं हैं. युगलपीठ ने याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दोनों मामलों में फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं.