जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि बच्चों के हित में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति संयुक्त रूप से कार्य करें. प्रदेश के चाइल्ड केयर सेंटर का निरीक्षण कर स्थिति में सुधार का समाधान करें. प्रदेश सरकार उनकी अनुशंसा का पालन करें. ऐसा नहीं करने पर हाईकोर्ट आवश्यक आदेश पारित करेगा. (Solutions for improvement inspecting child center)
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जुवेनाइल एक्ट में सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किए थे 15 बिंदुः गौरतलब है कि पूरे देश में बच्चों के लिए बने जुवेनाइल एक्ट का अक्षरः पालन नहीं होने के खिलाफ वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सर्वाेच्च न्यायालय ने 9 फरवरी 2018 को मामले पर अपना फैसला देते हुए मौजूदा कानूनों के तहत अपराध में शामिल या अपराध के शिकार बच्चों के लिए चाईल्ड फ्रैण्डली कोर्ट की अवधारणा सहित 15 बिंदु निर्धारित किये थे. सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किये गये बिंदुओं के अनुसार सभी जिलों में जुवेलाइल जस्टिस बोर्ड तथा बाल कल्याण समितियों का गठन किया जाना चाहिए. प्रत्येक थाने में पुलिस की विशेष जुवेलाइल यूनिट होनी चाहिए. (SC had laid down 15 points in the Juvenile Act)
पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाएः केंद्र व राज्य की पुलिस अकादमी में इस संबंध में प्रशिक्षण देना चाहिए. प्रत्येक तीन माह में राज्य सरकार को ऑन लाइन रिकार्ड भेजने सहित विधि सहायता व बाल कल्याण गृह के रजिस्ट्रेशन व ट्रेनिंग के सम्बंध में आवश्यक दिशा-निर्देश देने थे. सर्वाेच्च न्यायाल ने सभी प्रदेश के उच्च न्यायालयों को स्वमेव जनहित याचिका दायर करके मामले की मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए थे. इसी परिप्रेक्ष्य में हाईकोर्ट ने यह जनहित याचिका दर्ज की थी. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किये थे. सरकार की तरफ से महिला एवं बाल विकास विभाग को फंड उपलब्ध करवाने की जानकारी पेश की गयी थी. युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किये. (Training should be given in Police academy)