जबलपुर। वन्य जीवों को लेकर सरकारों की अनदेखी से दुखी रेड लिंक्स कॉन्फेडरेशन ने हाईकोर्ट (HC) से गुहार लगाई है. याचिका को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने सरकार को फटकार लगा कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि प्रदेश के विभिन्न जंगलों में आग बुझाने के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (HC) के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आग बुझाने के लिए सरकार के पास नहीं कोई व्यवस्था
याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के जंगल में आग भड़की थी. इस आग में बडी संख्या में वन संपदा जलकर खाक हो गई थी, जिससे वन्य जीवों की मौत हो गई. याचिका में कहा गया कि जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है. आग बुझाने के लिए वन विभाग के पास उपकरणों का अभाव है. जंगल में लगी आग फैलकर खेतों तक पहुंच जाती है और फसल भी नष्ट हो जाती है. जंगल में लगी आग के कारण फसल नष्ट होने से किसानों को आत्महत्या तक करना पड़ती है.
याचिका की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद
याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार के पर्यावरण विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों को अनावेदक बनाया गया है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
रेत के अवैध उत्खनन पर HC सख्त
अनूपपुर जिले में रेत ठेकेदारों के अवैध उत्खनन किए जाने के आरोपों के मामले को हाईकोर्ट ने सख्ती से लिया है. चीफ जस्टिस मोह. रफीक और जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने मामले में अनूपपुर कलेक्टर, एसपी और जिला खनन अधिकारी को निर्देशित किया है कि वे सुनिश्चित करें कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कोई अवैध उत्खनन न हो. साथ ही युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
करोड़ों रुपए का लगाया जा रहा चूना
यह जनहित का मामला अनूपपुर निवासी किसान बुद्धसेन राठौर और उमेश सिंह राठौर की ओर से दायर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अनूपपुर जिला प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. जिले से दो राष्ट्रीय नदियों नर्मदा और सोन के अतिरिक्त जोहिला और केवई सहित कई प्रमुख नदियां हैं. नदियों के कारण प्रचुर मात्रा में रेत जमा होती है. लंबे अरसे से जिला खनन विभाग, ठेकेदार और रेत माफिया की मिलीभगत से रेत का अवैध उत्खनन, भंडारण और विक्रय करके न केवल नदियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, बल्कि शासन को करोड़ों रुपए का चूना भी लगाया जा रहा है.
जिले में रेत उत्खनन के लिए 22 खदानों का 3 साल का ठेका भोपाल के केजी डेवलपर को दिया गया है, लेकिन दूसरे ठेकेदार केवल आठ खदानों के लिए ई-परमिट लेकर पूरे जिले में बड़े पैमाने पर रेत उत्खनन कर रहे हैं, जिसमें ऐसी खदानें भी शामिल हैं, जो अधिसूचित नहीं हैं.