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Farm Loan Waiver Demand: किसान नेता शिवकुमार कक्का जी ने किसानों के कर्ज माफी की मांग की, बनाया जाए MSP गारंटी कानून

किसान नेता शिवकुमार कक्का जी किसानों की एक रैली लेकर जबलपुर पहुंचे. उन्होंने कहा कि ''कांग्रेस और भाजपा दोनों की पार्टियां किसानों के मुद्दों पर ध्यान दें. मध्य प्रदेश में कर्ज माफ नहीं होने के चलते कई किसान डिफाल्टर हो गए हैं.'' उन्होंने मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिलने की गारंटी का कानून बनाने की भी बात कही.

Shivkumar Kakka demanded loan waiver
किसानों के कर्ज माफी की मांग की

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 9, 2023, 8:24 PM IST

Updated : Oct 9, 2023, 8:40 PM IST

किसानों के कर्ज माफी की उठी मांग

जबलपुर। मध्य प्रदेश में किसानों की संख्या लगभग एक करोड़ है. यदि खेती से जुड़ी हुई पूरी अर्थव्यवस्था को देखा जाए तो मध्य प्रदेश में लगभग 80% आबादी खेती से जुड़ी हुई है. जिसमें कृषक, कृषि मजदूर और कृषि आधारित व्यापार में लगे हुए लोग शामिल हैं. लेकिन सरकार किसानों के मुद्दों पर चुप रहती है. इन्हीं मुद्दों को लेकर किसान नेता शिवकुमार कक्का जी किसानों की एक रैली लेकर जबलपुर पहुंचे और उन्होंने मांग की है कि आने वाले चुनाव में दोनों ही पार्टियों किसानों के मुद्दों पर ध्यान दें.

किसानों के लिए ऋण माफी जरूरी है:राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक शिवकुमार कक्का जी ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले यह घोषणा की है कि ''किसानों की कर्ज माफी चाहिए और कर्ज माफी उनके लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि बीते समय में डीजल, बिजली खाद और बीज में आई महंगाई की वजह से किसानों की खेती की लागत बहुत अधिक बढ़ गई है. ऐसी स्थिति में यदि एक बार किसानों को कर्ज माफी दी जाती है तो किसानों की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी.''

कर्ज के चलते डिफाल्टर हो गए किसान: गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों के ₹2,00,000 तक के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी. लेकिन अचानक से सरकार गिर जाने की वजह से यह घोषणा पूरी नहीं हो पाई और अब तक मध्य प्रदेश के लाखों किसान डिफाल्टर हो गए. शिव कुमार कक्का जी ने भारतीय जनता पार्टी सरकार पर आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार के दौरान मध्य प्रदेश में किसानों के खुद के जल स्रोतों तक पर टैक्स शुरू हो गया है.

मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर खरीदी:किसान नेताओं का कहना है कि ''सरकार को यदि किसानों की अर्थव्यवस्था सुधारना है तो किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिलने की गारंटी का कानून बनना होगा. हालांकि किसानों ने इसी मांग को लेकर पहले भी आंदोलन किया लेकिन सरकार है इस पर एक मत नहीं हो पाई. वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ का आरोप है कि ''सरकार ने कुछ ऐसी कार्य कर रखे हैं जिनके तहत सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर खरीदी धीरे-धीरे घटाएगी. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते में यह शर्त भी है कि एसपी पर सरकारी खरीद पूरी तरह बंद की जाए. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ का आरोप है कि सरकार धीरे-धीरे एसपी पर खरीदी पूरी तरह बंद करेगी.

मिनिमम सपोर्ट प्राइस का पुनर्मूल्यांकन:शिवकुमार कक्का जी का कहना है कि ''आज मिनिमम सपोर्ट प्राइस के नाम पर जो पैसा किसानों को दिया जा रहा है इसका आकलन सही नहीं है. यदि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर गेहूं का दाम निकल जाए तो वह लगभग ₹5000 प्रति कुंतल होना चाहिए. कुछ इसी तरीके से धन और गन्ने के दाम को लेकर भी किसान संगठन ने आपत्ति जताई है और सरकार से नए शरीर से मिनिमम सपोर्ट प्राइस तय करने की मांग की है.''

मध्य प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कम दामों पर:किसान नेता शिवकुमार कक्का जी का कहना है कि ''शिवराज सरकार के दौरान मध्य प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कानून में परिवर्तन किया गया है और जहां उत्तर प्रदेश जैसा राज्य किसने की भूमि अधिग्रहण में चार गुना पैसा दे रहा है. वहीं, मध्य प्रदेश मात्र दो गुना पैसा देकर किसानों के साथ अन्याय कर रही है. क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार की सड़क और रेलवे परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करती हैं.''

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आयात निर्यात नीति से किसानों का नुकसान:राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के केरल से आए हुए सदस्य बीजु ने बताया कि ''केंद्र सरकार ने g20 के दौरान कई ऐसे समझौते किए हैं जिसे भारत के किसानों को नुकसान होगा. इसमें आयात पर शुल्क घटाया गया है और निर्यात पर शुल्क बढ़ाया गया है. भारत पोल्ट्री का एक बड़ा उत्पादक है लेकिन अब दुनिया के कई देशों से उनका बचा हुआ चिकन मीट हिंदुस्तान आयात किया जाएगा.'' संघ का आरोप है कि ''अमेरिका ने अपने किसानों के हितों के मद्देनज़र कुछ ऐसी शर्तों पर साइन करवाए हैं जिससे भारत के किसानों को नुकसान उठाना होगा.''

किसान सम्मान निधि:शिवकुमार कक्का जी का कहना है कि ''किसान सम्मान निधि किसानों के साथ एक किस्म का धोखा है. सरकार एक किसान को जितना पैसा सम्मान निधि के माध्यम से देती है उसे किसानों का भला होने वाला नहीं है. बल्कि उसकी जगह सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर उनका अनाज खरीदने लगे तो किसानों को ज्यादा मदद मिल सकती है.''

मांगों पर विचार करें पार्टियां: किसान नेताओं का कहना है कि ''एक और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह किसानों के हिमायती बनते हैं दूसरी ओर किसान आंदोलन में चीन किसानों के ऊपर मुकदमे दर्ज हुए थे. उन्हें खत्म करने की तरफ सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. हालांकि किसान नेताओं ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उनका रुख क्या रहेगा. लेकिन उनका कहना है कि उनकी मांगों पर दोनों ही पार्टियों को विचार करना चाहिए.''

Last Updated : Oct 9, 2023, 8:40 PM IST

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