जबलपुर।जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं लखन घनघोरिया. उन्होंने 2018 में भारतीय जनता पार्टी के नेता अंचल सोनकर को ही 35 हजार वोटों से हराया था. लखन घनघोरिया को 90 हजार वोट मिले थे. इसके बाद लखन घनघोरिया कमलनाथ सरकार में मंत्री बने. उन्हें सामाजिक न्याय विभाग मिला था. इसलिए लखन घनघोरिया की स्थिति पूर्व विधानसभा क्षेत्र में मजबूत हो गई थी. हालांकि 2013 में लखन घनघोरिया ही अंचल सोनकर से एक हजार वोटों से हार गए थे. 2008 के चुनाव में भी ये दोनों ही आमने-सामने थे. इस चुनाव में अंचल सोनकर को हार का सामना करना पड़ा था.
महंगाई व बेरोजगारी बना मुद्दा :लखन घनघोरिया का कहना है कि जनता आक्रोश में है और शिवराज सिंह के कामकाज से परेशान है. महंगाई चरम पर पहुंच गई है और लोगों के पास काम नहीं है. वह बेरोजगार हैं. इसलिए पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है. वहीं, अंचल सोनकर भारतीय जनता पार्टी के बहुत पुराने नेता हैं. 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. हालांकि यह चुनाव उन्होंने नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा से जीता था. इसके बाद अंचल सोनकर जबलपुर की राजनीति में आ गए और उन्होंने लंबी पारी खेली. 1993, 1998, 2003 से 2008 तक भी जबलपुर की पूर्व विधानसभा की विधायक रहे. 2008 में उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2013 में उन्होंने एक बार फिर चुनाव जीता.
योजनाओं के सहारे बीजेपी :इस हिसाब से 2023 में एक बार फिर कड़ी टक्कर दे रहे हैं. राजनीति के पुराने खिलाड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने अब तक नौ बार विधानसभा की टिकट दी है और एक बार उमा भारती सरकार में मंत्री भी रहे हैं. अंचल सोनकर का कहना है कि जनता उनके साथ है. उसकी बड़ी वजह शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना और लाडली लक्ष्मी जैसी योजनाएं हैं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास योजना का भी हवाला देकर कह रहे हैं कि जिन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिले हैं. वे खुद भारतीय जनता पार्टी का प्रचार कर रहे हैं.