जबलपुर।अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु सामान्य बात है, कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है की अस्पताल मे यदि इलाज के दौरान किसी मरीज की मौत हो जाती है तो इसे उपभोक्ता फोरम मैं चुनौती दी जा सकती है, जबलपुर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. मध्य प्रदेश उपभोक्ता आयोग ने किडनी पर स्टोन का इलाज कराने के दौरान मरीज की मौत पर बड़ा फैसला देते हुए डॉक्टर और अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया. आयोग ने माना कि अस्पताल और डॉक्टर ने लापरवाही की है. लिहाजा मरीज के परिजन को मुआवजा राशि में लाखों रुपए देने के आदेश दिए.
किडनी के इलाज के दौरान मौत:बीते साल 27 जनवरी 2022 को उमरिया जिले की युवा वकील सूरज खट्टर जबलपुर में इलाज करवाने के लिए आए थे. इनके पेट में दर्द था, आशीष अस्पताल में इलाज के दौरान पता लगा की 37 साल के सूरज खट्टर की किडनी में स्टोन है. सूरज कट्टर को किडनी के इलाज के स्पेशलिस्ट डॉ. फणेंद्र सोलंकी के पास भेजा गया और डॉक्टर ने आशीष अस्पताल में ही सूरज खट्टर का किडनी पर स्टोन का ऑपरेशन किया. डॉक्टर का दावा है कि उन्होंने किडनी से स्टोन निकाल दिए लेकिन अस्पताल में ही इलाज के दौरान सूरज कट्टर की तबीयत बिगड़ने लगी, अचानक से उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया और हार्ट अटैक की वजह से उनकी मृत्यु हो गई.
उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया:अस्पताल में मृत्यु का यह पहला मामला नहीं था, अक्सर अस्पतालों में इलाज के दौरान मरीजों की मौत हो जाती है लेकिन खट्टर परिवार पर अचानक कमाने वाले सदस्य की मौत की वजह से गंभीर संकट खड़ा हो गया. सूरज खट्टर उमरिया के एडवोकेट थे और इन्हीं की कमाई से परिवार की रोजी-रोटी चल रही थी. खट्टर परिवार सदमे में था और अपने कमाऊ पूत की मृत्यु के बाद इन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था, लेकिन सूरज खट्टर वकील थे इसलिए युवा वकील की मौत के बाद परिवार से मिलने के लिए वकीलों का एक दल गया. इसी में उपभोक्ता मामलों के जानकार वकील पुष्पेंद्र सिंह भी थे. उन्होने सूरज कट्टर की मौत को इलाज में लापरवाही मानते हुए उपभोक्ता फोरम में एक केस दायर किया और उसमें सूरज कट्टर के इलाज में हुई लापरवाही को अपनी दलीलों के माध्यम से साबित किया.