जबलपुर/ नागपुर। साफ बोल ना पाने और स्कूल में पढ़ने लिखने में मन ना लगने के साथ ही स्कूल बंक करने की आदत और कचरा बीनने वाले बच्चों की संगत. आमिर एक बार अपनी इन्हीं आदतों के चलते पुलिस थाने भी पहुंच गया था. जहां से उसके माता -पिता उसे लेकर आए थे, लेकिन 10 पहले जब वो घर से गायब हुआ तो फिर किसी को नहीं मिला, क्योंकि वो किसी ट्रेन में चढ़कर नागपुर पहुंच चुका था. यहां वह एक अनाथालय में भी रहा. एक संस्था ने उसे यहां पहुंचाया था. यहां से उसे अनाथालय बंद होने से पहले नागपुर के दामले परिवार ने गोद लिया था. अब 10 साल बाद एक बार फिर वह अपने पुराने परिवार के पास लौट आया है.
मां' का बर्थडे मनाने 250 किलोमीटर दूर बाइक चलाकर जबलपुर से नागपुर पहुंचा आमिर आमिर को मिला नया नाम 'अमन'
नागपुर के दामले दंपति ने 2012 में सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अनाथालय में जहां आमिर एक लावारिस के तौर पर दर्ज था से गोद लिया था. दामले परिवार के घर में आए आमिर को अब हिंदू नाम अमन मिल चुका था. यह अमन भी पूरी तरह खुद के आमिर होने की बात को भूल चुका था. मानसिक तौर पर कमजोर आमिर का दामले परिवार ने इलाज कराया और उसे सामान्य कर लिया. वह दामले परिवार के साथ बीते 9 साल से उनके बेटे की तरह ही रह रहा था, लेकिन अब 18 के हो चुके अमन को उसके असली माता-पिता को सौंपने का वक्त आ चुका था. अमन की असली पहचान मिलने के बाद दामले परिवार भी खुशी-खुशी उसे उसके अपने परिवार को उसे सौंपने के लिए तैयार हो गए.
'आधार' से निकला 'लिंक'
9 साल पहले अमन पुलिस को नागपुर रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिला था. तब वह ठीक से बोल भी नहीं पाता था. अपने घर का पता, माता-पिता का नाम बताना उसके लिए संभव नहीं था. पुलिस ने बच्चे को चाइल्ड लाइन नाम की संस्था की मदद से बाल सुधार गृह भिजवा दिया. यहां से साल 2012 में नागपुर के ही समर्थ दामले और उनकी पत्नी ने इस बच्चे को गोद लिया और उसका नाम अमन रखा. दामले परिवार में घुला मिला आमिर, अमन बनकर यहां 18 साल का होने तक रहा. कुछ दिन पहले अपने बेटे अमन का आधार कार्ड बनवाने उसके पिता समर्थ मनकापुर के आधार सेवा केंद्र पर गए. यहां उन्होंने सेंटर के मैनेजर अनिल मराठे से अमन का आधार कार्ड बनाने को कहा. मराठे ने अमन का आधार कार्ड बनाने के लिए जब उसके फिंगर प्रिंट लिए तो उसका आधार पहले से ही रजिस्टर्ड दिखा रहा था. तब मराठे ने समर्थ दामले को बताया उनके बेटे का आधारकार्ड बना हुआ है और यह अमन नहीं बल्कि आमिर है जो मध्यप्रदेश के जबलपुर का रहने वाला है.
आमिर उर्फ अमन ने जोड़ा प्यार का बंधन
नागपुर के नवप्रकाश परिसर में रहने वाले दामले परिवार के मुखिया समर्थ दामले के परिवार में उनकी पत्नी लक्ष्मी, एक बेटा और बेटी भी हैं, लेकिन इन सभी ने अमन की पहचान और पता मिलने के बाद उसे उसके असली मां-बाप से मिलाने की कोशिश शुरू कर दी. जबलपुर पुलिस से संपर्क किया गया और स्थानीय पार्षद ने आमिर के पिता को उनके लड़के के जिंदा होने और नागपुर में होने की सूचना दी. जिसके बाद पुलिस की मदद से आमिर अपने परिवार और अपने असली माता-पिता के पास पहुंच गया.
बाइक से 250 किलोमीटर दूर जन्मदिन मनाने पहुंचा नागपुर
ईटीवी भारत की टीम जब जबलपुर में आमिर के घर पर पहुंची तव वह अपने घऱ पर नहीं था. उसके परिजनों ने बताया कि वह अपने पिता के साथ मां लक्ष्मी दामले का जन्मदिन मनाने अपने बीमार दादाजी को देखने नागपुर गया हुआ है. हमारे सामने ही आमिर के परिजनों ने अमन के परिजनों से वीडियो कॉलिंग के जरिए बातचीत की और उनकी खैरियत ली. दोनों परिवारों के बीच इतनी आत्मियता से बातचीत हुई. दो अलग अलग राज्यों में रहने वाले एक दूसरे से अंजान दोनों परिवारों के बीच यह प्यार का बंधन इस बच्चे की वजह से ही बंधा है. यहां ना तो कोई हिंदू नजर आया ना कोई मुस्लिम, दिखाई दी तो दोनों परिवारों की बीच आत्मीय रिश्ता जोड़ने वाली प्यार की डोर और आमिर उर्फ अमन की दो मां एक देवकी तो दूसरी यशोदा.