संस्कारधानी का जवाब नहीं! वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू में जबलपुर सबसे आगे, हर साल होते हैं 900 से ज्यादा रेस्क्यू
Jabalpur Wild Animal Rescue: वन्य प्राणियों के रेस्क्यू मामले में मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर पहले पायदान पर है. यहां हर साल 900 से लेकर 1000 तक वन जीवों का रेस्क्यू किया जाता है. गुरुवार को भी गढा इलाके में एक कपड़े की दुकान में सांप घुस गया था, जिसे सर्प विशेषज्ञ ने पकड़कर जंगल में छोड़ दिया.
जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में हर साल 900 से ज्यादा जानवरों को जिंदा पकड़ा जाता है. इनमें सांप, कई बड़ी छिपकलियों, मगरमच्छ, हिरण और यहां तक की बंदरों का भी रेस्क्यू किया जाता है और इन्हें जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है. जानवरों को जिंदा रेस्क्यू करने और उन्हें सही सलामत जंगल में छोड़ने के मामले में जबलपुर देश के दूसरे शहरों की अपेक्षा अपनी अलग पहचान रखता है. गुरुवार को भी जबलपुर के सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे ने एक 7 फीट के सांप को पकड़कर उसे जंगल में सही सलामत छोड़ा.
कपड़े की दुकान में घुसा सांप: बरसात खत्म हो गई है, लेकिन अभी भी सांपों के निकलने का सिलसिला बंद नहीं हुआ है. सामान्य तौर पर बरसात के मौसम में ही सांप नजर आते हैं. लेकिन गुरुवार को जबलपुर के गढा इलाके में एक कपड़े की दुकान में दुकानदार को सांप नजर आया. जब उसने बारीकी से देखा तो यह लगभग 7 फीट लंबा घोड़ा पछाड़ सांप था. जिसे देखकर वह चौंक गया.
सांप की किया रेस्क्यू: शुरुआत में कपड़ा दुकानदार ने खुद ही इसे भागने की कोशिश की, लेकिन सांप ने दुकान नहीं छोड़ी. इसके बाद सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे को बुलाया गया. गजेंद्र दुबे ने बड़ी सावधानी के साथ इस सर्प को पकड़ा. गजेंद्र दुबे का कहना है कि ''यह घोड़ा पछाड़ सांप है जिसे धामन के नाम से भी जाना जाता है. यह देखने में जरूर बड़ा होता है लेकिन इसमें जहर नहीं होता. हालांकि यदि बहुत अधिक छेड़छाड़ की जाए तो यह काट सकता है, इसके काटने से मौत नहीं होती लेकिन फिर भी सांप की दहशत से लोग कई बार गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं.''
हर साल 900 से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू: गजेंद्र दुबे का कहना है कि ''यदि ऐसा सांप आपके आसपास हो तो बहुत घबराने की जरूरत नहीं है. इसे या तो किसी सर्प विशेषज्ञ के द्वारा पकड़वा दें या फिर इसे घर से बाहर कर दें. यह लोगों के लिए घातक नहीं है, यह सामान तौर पर चूहों को खाकर लोगों की मदद ही करता है.'' वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ''जबलपुर कुछ मामलों में प्रदेश के दूसरे शहरों से अलग है. यहां एक साल में 900 से लेकर 1000 तक रेस्क्यू किए जाते हैं और इसमें सरकारी प्रयासों के साथ ही गजेंद्र दुबे जैसे वन्य प्राणी विशेषज्ञ भी हैं, जो जानवरों को जिंदा बचाते हैं और उन्हें उनके प्राकृतिक निवास में छोड़ते हैं."'