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Insulin Plant:डायबिटीज की दवा पत्तियों में,आप घर में उगा सकते हैं ये पौधे - जिम्नेथियम और कस्टस इग्नीअस

इन्सुलिन प्लांट यानी डायबिटीज की दवा अब सभी लोग घर में उगा सकते हैं. जबलपुर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में इंसुलिन के पौधे जिम्नेथियम और कस्टस इग्नीअस लगे हैं. इन पौधों की पत्तियों में मधुमेह रोग की दवा मौजूद है. इन दोनों ही पौधों पर यहां शोध किया जा चुका है.

Insulin Plant Diabetes medicine
Insulin Plant डायबिटीज की दवा पत्तियों में

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Published : Mar 9, 2023, 5:35 PM IST

Insulin Plant डायबिटीज की दवा पत्तियों में

जबलपुर।मधुमेह या डायबिटीज की बीमारी अब एक आम बीमारी बन गई है. इसके मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. एलोपैथी में शुगर कंट्रोल करने के लिए जो दवाएं हैं उनके साइड इफैक्ट बहुत खतरनाक हैं. इसलिए यदि आयुर्वेदिक या नेचरोपैथ के तरीके से कोई दवाएं खोजी जाएं तो मरीजों को कम साइड इफैक्ट के साथ एक बेहतर जिंदगी मिलेगी. ऐसी कुछ खोजें हो चुकी हैं, जिनमें कुछ ऐसे पत्ते हैं जिन्हें खाने से एलोपैथिक दवाओं से छुटकारा मिल सकता है. जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में इंसुलिन के पेड़ के नाम से दो अलग-अलग प्रजातियों के पौधे उपलब्ध हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि इनकी पत्तियां खाने से शुगर कंट्रोल में रहती है.

इंसुलिन का पेड़ जिम्नेथियम :कृषि विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक औषधियों के जानकार डॉ.ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि यह पौधा कंपोजिट कुल का है. इसी कुल में चिरायता का पौधा भी होता है. इसलिए यह बड़ा गुणकारी पौधा है. इसमें ना केवल इंसुलिन को नियंत्रित करने का गुण है, बल्कि यह स्ट्राइडिंग ईल्डिंग प्लांट भी है. मतलब इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर को मजबूत करते हैं. इसके अलावा इस पौधे को खाने से लीवर मजबूत होता है और बुखार में भी इसका उपयोग किया जा सकता है. कुल मिलाकर यह पौधा बहुत गुणकारी है और मधुमेह के रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

कस्टस इग्निअस :यह दूसरा पौधा है जिसे इंसुलिन प्लांट के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारे आसपास के जंगलों में क्योंकंद के नाम से एक पौधा पाया जाता है. इसकी पत्तियों में भी मधुमेह से लड़ने के गुण होते हैं. ये पौधा भी उसी कुल का पौधा है. इसमें एक समस्या यह है कि यह सालभर खड़ा नहीं रहता और इसमें साल भर पत्तियां भी नहीं रहती. वहीं मधुमेह के रोगियों के लिए रोज पत्तियों की जरूरत होती है. इसके साथ ही कुछ लोग इसे डेकोरेशन के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. दूसरी तरफ, लोग कहते हैं कि आयुर्वेदिक औषधियों का असर एलोपैथिक औषधियों की तरह नहीं होता, यह बात सही है लेकिन बहुत सी एलोपैथिक दवाएं इतने गंभीर साइड इफैक्ट पैदा करती हैं कि लोगों की जान तक चली जाती है.

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एक समय बाद गोलियां निष्प्रभावी :मधुमेह में भी जिन दवाओं से अग्नाशय से इंसुलिन निकाली जाती है, एक समय के बाद गोलियां खाने के बाद भी उसमें इंसुलिन नहीं बनती. ऐसी स्थिति में मरीज की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है और उसे बाहर से इंजेक्शन से इंसुलिन लेनी पड़ती है. आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में हमारे पास मौजूद ग्रंथों में ही पर्याप्त जानकारी है लेकिन यह जानकारी आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रही. इसकी कुछ वजह सरकारी है और कुछ इलाज के एलोपैथिक तरीके के वजह से बना हुआ माहौल है.

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