जबलपुर।मधुमेह या डायबिटीज की बीमारी अब एक आम बीमारी बन गई है. इसके मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. एलोपैथी में शुगर कंट्रोल करने के लिए जो दवाएं हैं उनके साइड इफैक्ट बहुत खतरनाक हैं. इसलिए यदि आयुर्वेदिक या नेचरोपैथ के तरीके से कोई दवाएं खोजी जाएं तो मरीजों को कम साइड इफैक्ट के साथ एक बेहतर जिंदगी मिलेगी. ऐसी कुछ खोजें हो चुकी हैं, जिनमें कुछ ऐसे पत्ते हैं जिन्हें खाने से एलोपैथिक दवाओं से छुटकारा मिल सकता है. जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में इंसुलिन के पेड़ के नाम से दो अलग-अलग प्रजातियों के पौधे उपलब्ध हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि इनकी पत्तियां खाने से शुगर कंट्रोल में रहती है.
इंसुलिन का पेड़ जिम्नेथियम :कृषि विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक औषधियों के जानकार डॉ.ज्ञानेंद्र तिवारी का कहना है कि यह पौधा कंपोजिट कुल का है. इसी कुल में चिरायता का पौधा भी होता है. इसलिए यह बड़ा गुणकारी पौधा है. इसमें ना केवल इंसुलिन को नियंत्रित करने का गुण है, बल्कि यह स्ट्राइडिंग ईल्डिंग प्लांट भी है. मतलब इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर को मजबूत करते हैं. इसके अलावा इस पौधे को खाने से लीवर मजबूत होता है और बुखार में भी इसका उपयोग किया जा सकता है. कुल मिलाकर यह पौधा बहुत गुणकारी है और मधुमेह के रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.