जबलपुर।पुलिस आरक्षकों की नियुक्ति का मामला जबलपुर, कटनी, सागर, भोपाल व नरसिंहपुर बटालियन में पदस्थ पुलिस आरक्षको की ओर से दायर किया गया था. इसमें कहा गया था कि वर्ष 2016 की पुलिस भर्ती में आरक्षित ओबीसी, एससी, एसटी के अभ्यर्थी मेरिट में टॉप होने पर उनका चयन अनारक्षित (ओपन) वर्ग में किया गया था. लेकिन उनको उनकी पसंद चॉइस फिलिग के आधार पर उनकी पसंद की पोस्टिंग नहीं की गई. इन सभी आरक्षित वर्ग के जो अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए थे उन सभी को प्रदेश की समस्त एसएएफ बटालियनों में पदथापना दी गई थी. जबकि उनसे कम मेरिट बालो को जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच आदि शाखाओ में पदस्थापना दी गई है.
दो माह के अंदर आदेश का पालन करें :अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2016 की भर्ती में अपनाई गई प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश व फैसलों से असंगत है. आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थी को अपनी पसंद के पद पर पदस्थापना प्राप्त करने का विधिक अधिकार है. याचिकाकर्ताओ ने अपनी पहली पसंद की वरीयता में जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, आदि प्रस्तुत की गई थी, लेकिन पुलिस विभाग ने मनमाने रूप से पदस्थापना की गई है. अधिवक्ता श्री ठाकुर ने बताया कि सुनवाई के बाद न्यायालय ने गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक को 60 दिनों के अंदर याचिकाकर्ताओ को सुप्रीम कोर्ट के फैसलो के मद्देनजर उनकी पसंद के आधार पर पदस्थापना देने का आदेश दिया है. मामले में सहयोगी अधिवक्ता के रूप में विनायक शाह, रामभजन लोधी, अंजनी कबीरपंथी ने पैरवी की.