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जेल में तालीमशाला! अंधेरी गली से कैदी कर रहे भविष्य में 'उजाला' - कैदी जगा रहे शिक्षा की अलख

जबलपुर की नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल से शिक्षा की अलख आज पूरे देश मे फैल चुकी है. जेल में सजा काट रहे कैदियों को पढ़ा लिखा कर उन्हें परीक्षा के लिए तैयार किया गया है ताकि वो जब समाज में कदम रखे तो वह अपना नये सिरे से जीवन शुरु कर सके.

Netaji Subhash Chandra Bose Central Jail
नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल

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Published : Feb 19, 2021, 6:36 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 12:02 PM IST

जबलपुर।नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल से शुरू हुई शिक्षा की अलख आज पूरे देश मे फैल चुकी है. 2009-10 में जेल में सजा काट रहे कैदियों को पढ़ा लिखा कर उन्हें परीक्षा के लिए तैयार किया गया. शुरुआती दौर में कुछ कैदियों से शुरू हुई परीक्षा को आज 2000 से ज्यादा कैदी पासकर एक अच्छा जीवन बिता रहे है. इस साल भी इंद्रा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय के माध्यम से जबलपुर जेल में करीब 230 कैदियों ने परीक्षा दी है.

जेल में कैदियों की क्लास

हो गया अपराध अब करना है प्रायश्चित

जबलपुर केंद्रीय जेल में हत्या के मामले में सजा काट रही आरती बर्मन ने क्लास आठ में ही पढ़ाई छोड़ दी है. इसी बीच उससे हत्या जैसा अपराध हो गया और फिर वो आ गई जेल, जेल आने के बाद आरती ने अपना समय बीतने के लिए पढ़ाई शुरू कर दी. आरती बीते आठ साल से इग्नू से परीक्षा दे रही है. आठ क्लास तक पढ़ाई करने के बाद कापी-किताबों को छोड़ चुकी आरती बीते आठ सालों से लगातार पढ़ाई कर रही है और अब वो बीए की परीक्षा दे रही है. आरती का कहना है कि अंजाने में जो अपराध उससे हो गया है, उसे भूलकर वो अब नई जिंदगी जीने की तैयारी कर रही है. जेल से बाहर निकलने के बाद आरती दूसरों को भी शिक्षा देने का काम करेगी.

परीक्षा देता कैदी

अब रहना है अपराध से दूर- कैदी

करीब 6 साल पहले सिकंदर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर हत्या जैसा संगीन अपराध कर दिया था. जिसका उसे आज तक मलाल है. सिकंदर अब जेल में रहकर अपने दिमाग को अपराध से हटाकर शिक्षा की तरफ लगाने में जुटा हुआ है. हत्या के आरोप में सजा काट रहे सिकंदर का कहना है जेल से छूटने के बाद वह अपराध से तौबा कर लेगा और यहां से मिली शिक्षा को वह दूसरो को देगा.

पहली बार 2009-10 में हुई थी परीक्षा

कई तरह के संगीन अपराध करने के बाद जेल में सजा काट रहे कैदियों के मन को बदलने के लिए वरिष्ठ जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकर ने 2009-10 में जेल अधीक्षक रहते हुए शुरुआत की है. तत्कालीन जेल अधीक्षक ने कैदियों की शिक्षा के लिए इंद्रा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय से मदद ली. इग्नू ने भी इसके लिए हां कर दी और तब से लेकर अभी तक सिर्फ केंद्रीय जेल जबलपुर में 2000 से ज्यादा कैदी बीए, बीकॉम सहित कई डिग्रियां लेकर सामान्य जीवन जी रहे है.

नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल

*2009-10 में इंद्रा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से शुरू की गई परीक्षा की शुरुआत.
*बीए-बीकॉम-सहित कई अन्य कोर्स की चल रही है परीक्षा.
*अभी तक 2000 से ज्यादा कैदी परीक्षा पासकर ले चुके है डिग्री.
*इंद्रा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय कैदियों को दे रहा है नि:शुल्क पुस्तक और परीक्षा.
*1जनवरी 2010 को इग्नू के चान्सलर महामहिम ने दी जेल में परीक्षा की अनुमति.
*आज पूरे देश के जेलों में इग्नू के माध्यम से कैदी दे रहे है परीक्षा.

Last Updated : Feb 24, 2021, 12:02 PM IST

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