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सर्जरी राइट्स पर एलोपैथी व आयुर्वेदिक डॉक्टर्स में टकराव, दोनों पक्ष दे रहे तर्क - Jabalpur News

देश भर में डॉक्टरों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में एक दिवसीय हड़ताल की. इस दौरान अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर तमाम सेवाएं बंद रहीं. इसका असर जबलपुर में भी देखने को मिला. हड़ताल आयुर्वेद से पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर्स को सर्जरी राइट्स देने के विरोध में थी. इस दौरान दोनों तरफ के डॉक्टर्स अपने-अपने तर्क देने नजर आए.

Debate on surgery rights
सर्जरी राइट्स पर घमासान

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Published : Dec 12, 2020, 2:15 AM IST

जबलपुर। आयुर्वेद से पोस्ट ग्रेजुए डॉक्टर्स को सर्जरी का अधिकार मिलने के विरोध में शुक्रवार को एलोपैथिक डॉक्टरों ने एक दिवसीय हड़ताल की थी. इस दौरान अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर तमाम सेवाएं बंद रहीं. वहीं आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने दिन भर ओपीडी चलाकर मुफ्त में मरीजों का इलाज किया. आयुर्वेदिक डॉक्टरों का कहना है कि शल्य क्रिया के जनक सुश्रुत आयुर्वेद चिकित्सक ही थे. इसलिए हमें शल्य क्रिया करने का पूरा अधिकार है.

सर्जरी राइट्स पर घमासान

एलोपैथिक डॉक्टरों का तर्क

आईएमए के जबलपुर के अध्यक्ष डॉ डीके तिवारी का कहना है एलोपैथिक डॉक्टर एमबीबीएस करने के बाद भी ऑपरेशन करने के अधिकारी नहीं होते. ऑपरेशन करने का अधिकार मास्टर ऑफ सर्जरी के बाद ही मिलता है. लेकिन यहां एक छोटी सी प्रैक्टिस के बाद आयुर्वेदिक डॉक्टर को ऑपरेशन करने का अधिकार दिया जा रहा है, जो गलत है. आईएमए का कहना है कि जब तक सरकार एलोपैथिक प्रैक्टिस में छेड़खानी बंद नहीं करेगी, तब तक डॉक्टरों के आंदोलन इसी तरीके से चलते रहेंगे.

बीएएमएस डॉक्टरों ने हड़ताल का विरोध किया

आयुर्वेदिक से ग्रेजुए और पोस्ट ग्रुेजुएट डॉक्टरों का कहना है की शल्य क्रिया की शुरूआत ही सुश्रुत ने की थी. सुश्रुत शल्यक्रिया के जनक माने जाते हैं. मतलब भारत की परंपरागत चिकित्सा प्रणाली में ऑपरेशन करने का काम किया जाता था. देश के कई विश्वविद्यालय आयुर्वेद में शल्य क्रिया की पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करवाते हैं. वहां पर पहले से ही आयुर्वेदिक चिकित्सक शल्य क्रियाएं कर रहे हैं. ऐसे में आईएमए का विरोध पूरी तरह से गलत है. लोगों में एक भ्रम फैलाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक ऑपरेशन नहीं कर सकते.

'आयुर्वेद की देन है शल्य चिकित्सा'

आयुर्वेदिक डॉक्टर्स का मानना है कि एलोपैथी डॉक्टर आयुर्वेद को हीन नजरों से देखते हैं. यही वजह है कि सरकार ने जब आयुर्वेद का महत्व बढ़ाने की कोशिश शुरु की है, तो उन्हें आपत्ति हो रही है. एलोपैथी डॉक्टरों को शायद यह भ्रम है कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा किया हुआ ऑपरेशन मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन करीब 2600 साल पहले महर्षि सुश्रुत सर्जरी, यहां तक की दिमाग का जटिल ऑपरेशन भी किया करते थे. उनकी प्रसिद्ध किताब सुश्रुत संहिता में इन जटिल ऑपरेशनों की पूरी प्रक्रिया का उल्लेख है.

सुश्रुत की पुस्तक में वर्णित शल्य चिकित्सा आठ क्रियाएंः

  • छेद्य (छेदन के लिए)
  • भेद्य (भेदन के लिए)
  • लेख्य (अलग करने के लिए)
  • वेध्य (शरीर में हानिकारक द्रव्य निकालने के लिए)
  • ऐष्य (नाड़ी में घाव ढूंढने के लिए)
  • अहार्य (हानिकारक उत्पत्तियों को निकालने के लिए)
  • विश्रव्य (द्रव निकालने के लिए)
  • सीव्य (घाव सिलने के लिए)

सुश्रुत संहिता में चिकित्सा के कुल 120 अध्याय हैं. जिसमें आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से मिलती जुलती प्रक्रियाएं बताई गई हैं. इसके लिए जरुरी उपकरणों के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की गई है.

आम लोगों को झेलनी पड़ीं परेशानियां

संख्या बल के हिसाब से एलोपैथिक डॉक्टर्स ज्यादा हैं. इसलिए शुक्रवार को शहर में आम आदमी को इलाज करवाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा. क्योंकि प्राइवेट क्लीनिक्स भी बंद थीं. केंद्र सरकार के इस अध्यादेश ने पूरे मेडिकल जगत में खलबली मचा दी है.

क्या है सरकारी फरमान ?

हाल ही में सीसीआईएम की सिफारिश पर केन्द्र सरकार ने आयुर्वेद का महत्व बढ़ाने का फैसला करते हुए एक अध्यादेश जारी किया था.जिसके तहत आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई है. सीसीआईएम ने 20 नवंबर 2020 को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हुई 19 छोटी सर्जरी प्रक्रियाएं हैं.

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