मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

महिलाओं में बढ़ रहा नशे का चलन, दुष्प्रभाव से पैदा हो रहे कुपोषित बच्चे - गर्भावस्था के दौरान नशे का सेवन

गर्भावस्था के दौरान नशे का सेवन, महिलाओं में पोषण आहार की कमी समेत कई अन्य कारण गर्भस्थ शिशुओं की सेहत पर भारी पड़ रही हैं. जबलपुर के लेडी एल्गिन अस्पताल से मिले आकंड़ों के मुताबिक, बीते 6 महीनो में जन्म लेने वाले 16 हजार 34 बच्चों में से करीब 3273 नवजात यानी 21 फीसदी बच्चे कुपोषित या कम वजन के पैदा हुए. देखिए ये खास रिपोर्ट...

design photo
सांकेतिक फोटो

By

Published : Dec 24, 2020, 7:02 AM IST

Updated : Dec 24, 2020, 7:46 AM IST

जबलपुर। सिगरेट के दो कश या फिर शराब के दो पैग. नशे की ये लत आने वाली देश की पीढ़ी पर कितना बुरा असर डाल रही हैं. यह जानकर आप दंग रह जायेंगे. वहीं अगर गर्भवति महिला नशे की चपेट में है तो इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर कितना बुरा पड़ता है. इसके चौंकाने वाले आकंड़े सामने आए है. मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में नशे के कारण हजारों नवजात बच्चे अपेक्षित विकास से बाधित हो रहे हैं और कुपोषण की भेंट चढ़ रहे हैं. हाल ही में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने वाली योजना से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

नशे की चपेट में गर्भवति महिलाएं

6 माह में 21 फीसदी बच्चे कुपोषित या कम वजन के हुए

जबलपुर लेडी एल्गिन अस्पताल से मिले आकंड़ों के मुताबिक, बीते 6 महीनो में जन्म लेने वाले 16 हजार 34 बच्चों में से करीब 3273 नवजात यानी 21 फीसदी बच्चे कुपोषित या कम वजन के पैदा हुए. डॉक्टरों के मुताबिक कम वजन के बच्चों का जन्म एक चिंता का विषय है. जिसके कई कारण सामने आए हैं. एक अध्ययन के मुताबिक जिन महिलाओं ने कुपोषित या कम वजन के बच्चों को जन्म दिया है उनमें से अधिकांश महिलाएं किसी ना किसी नशे की लत है. महिलाओं में तंबाकू और गुटखा और अन्य प्रकार के नशे का सेवन का चलन बढ़ गया है. जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में बाधा देखी जा रही है.

महिलाओं में बढ़ रहा नशे का चलन

ग्रामीण महिलाओं में बीड़ी-सिगरेट, तो शहर में शराब का चलन

लेडी एल्गिन अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर संजय मिश्रा बताते हैं कि निश्चित रूप से तंबाकू और अल्कोहल से प्रसूता के खून में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन पहुंच जाते हैं. जिससे कि गर्भ में पल रहे बच्चे तक ऑक्सीजन कम पहुंचती है. यही वजह है कि वह बच्चा अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता. ऐसे हालातों में अब स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग की योजना शुरू करने की तैयारी में है. ताकि उन्हें गर्भावस्था के समय सभी तरह के नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सके. डॉक्टर के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में निचले तबके की जो महिलाएं होती हैं वह अमूमन बीड़ी सिगरेट का नशा करती हैं,जबकि शहरी क्षेत्र में महिलाएं शराब पीना पसंद कर रही हैं. ऐसे में दोनों ही स्थिति में महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे पर नशे का बेहद ही खतरनाक असर पड़ता है.

ये भी पढ़ें:भोपाल में टॉयलेट घोटालाः कागजों पर बने शौचालय, जमीनी हकीकत कुछ और...

महिलाओं के साथ-साथ बच्चे पर भी नशे का दुष्प्रभाव

डॉक्टर संजय मिश्रा बताते हैं कि गर्भावस्था के समय नशा करना ना सिर्फ बच्चा बल्कि गर्भ में पल रहे नवजात के लिए भी नुकसानदायक होता है. गर्भवती महिलाओं को जहां ऐसा करने से हृदय रोग की समस्या से ग्रसित होना पड़ता है. तो वहीं इस नशे के दुष्प्रभाव उसके बच्चे पर भी पड़ता है. यही वजह है कि जब बच्चे का जन्म होता है तो वह कम वजन का होता है या फिर उसका विकास कम होता है. बाद में फिर यही बच्चा मंदबुद्धि भी निकल जाता है.

नशे के रूप में पान मसाले को ज्यादा पसंद करती हैं महिलाएं
हाल ही में देखा गया है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में महिलाओं का पसंदीदा नशा पान मसाला हो गया है. कई महिलाएं जो बीड़ी सिगरेट या शराब को पसंद नहीं करती हैं. वह महिलाएं पान मसाला खाने की शौकीन हो गई है.महिला चिकित्सक डॉ रश्मि भटनागर का कहना है कि हाल ही में महिलाओं ने पान मसाला खाने को अपना शौक बना लिया है. डॉक्टर बताते हैं कि पान मसाला खाने से प्रसूता को भूख कम लगती है ऐसे में जब महिलाएं खाना कम खाती हैं तो निश्चित रूप से गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. लेडी एल्गिन अस्पताल से मिले सिर्फ जबलपुर के ही आंकड़े महिलाओं के नशे करने से संबंधित सामने आए हैं जो कि यह बताते हैं कि महिलाओं का नशे के प्रति लगातार रुझान बढ़ रहा है, लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि जब प्रदेश स्तर में महिलाओं के नशे करने के आंकड़े सामने आएंगे तो वह काफी चौंकाने वाले होंगे.

Last Updated : Dec 24, 2020, 7:46 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details