जबलपुर।देश भर में फैले कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जितना जरुरी मास्क पहनना और दो गज की दूरी बनाना है. ठीक उतना ही जरुरी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को सही रखना है. कोरोना काल में सभी अपनी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के खान-पान का सेवन कर रहे हैं. इस दौरान ये देखा गया है कि काफी लोग चिकन-मटन ज्यादा खा रहे हैं. डॉक्टरों का भी मानना है कि नॉन वेज फूड खाने से न सिर्फ इम्यूनिटि पावर बढ़ती है, बल्कि ताकत भी मिलती है.
लोगों ने खान-पान में शामिल किया नॉन वेज फूड
डॉक्टरों का भी मानना है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अगर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना हो तो चिकन- मटन का ज्यादा इस्तेमाल करें. क्योंकि इनके खाने से न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है बल्कि ताकत भी मिलती है. यही वजह है कि लोग अपने खान-पान में नॉन वेज फूड शामिल कर रहे हैं.
कोविड गाइडलान का पालन करते हुए बेच रहे चिकन-मटन
शहर में चिकन-मटन बेचने वाले दुकानदार कोरोना काल में नियमों का पालन करते हुए बिक्री कर रहे हैं. लेकिन कहीं न कहीं मटन बेचने को लेकर दुकानदारों को आमजन से दो-चार रोज होना पड़ता है. मटन-चिकिन विक्रेता बताते हैं कि निश्चित रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कोरोना काल के समय बिक्री में इजाफा हुआ है. लेकिन जनता जब दुकान में आती है तो कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं करती.
जनता नहीं कर रही गाइडलाइन का पालन
चिकन-मटन विक्रेता राहुल चौधरी कहते हैं कि अगर हम गलती करते हैं तो नगर निगम हम पर जरूर कार्रवाई करें. लेकिन आम जनता को भी गाइडलाइन का पालन करने के लिए जागरूक करें. दुकानदार राहुल चौधरी ने बताया कि नगर निगम की गाइडलाइन का हम पूरी तरह से पालन कर रहे हैं. हर 4 घंटे में साफ-सफाई और सेनिटाइजिंग हो रही है. कर्मचारी भी मास्क पहनकर ही दुकान में आ रहे हैं.
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चिकन-मटन बेचने से पहले बरतें एहतियात
आमतौर पर नॉन वेज फूड कंज्यूम करने वाले लोग दुकान जाते हैं, मांस पैक कराते हैं और घर चले आते हैं. लेकिन कभी भी कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है कि क्या पशु चिकित्सा विभाग की गाइडलाइन का पालन चिकन-मटन बेचने वाले दुकानदार कर रहे हैं या नहीं. नानाजी देशमुख यूनिवर्सिटी के डीन डॉ आरएस शर्मा बताते हैं कि जब भी पशु को काटा जाता है, उसके पहले जांच की जाती है जिसको पोस्टमार्टम कहा जाता है. उसके बाद ही बाजार में मटन को बेचा जाता है.
जांच है जरूरी
नाना जी देशमुख विश्विद्यालय के डीन डॉ आरएस शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम करना इसलिए भी जरूरी होता है कि कहीं कोई परजीवी तो पशु में नहीं है, जिसे खाने के बाद मनुष्य तक पहुंच जाए. इसके लिए जांच बहुत ही जरुरी है. उन्होंने बताया कि जिस जगह मटन-चिकन बेचा जाता है, वहां साफ-सफाई होना बहुत जरूरी है.
नगर निगम लेता है दुकानों की सफाई का जायजा
जबलपुर शहर में करीब 250 से 300 दुकानें हैं, जहां मटन- चिकन बेचा जाता है. इन सभी दुकानों की निगरानी करने का जिम्मा नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का है. लेकिन कभी कभी ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान देते हैं. नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि समय-समय पर जोन और वार्ड में तैनात कर्मचारी दुकानों की साफ-सफाई को देखते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि लाइसेंस देने का काम बाजार विभाग का होता है लेकिन जहां भी सड़ा- गला मांस बेचने की शिकायत मिलती है, वहां स्वास्थ्य विभाग दुकानदारों पर कार्रवाई करता है.
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ये बात साफ है कि नॉन वेज फूड कोरोना काल में इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में बेहतर साबित हो रहे हैं. लेकिन अब तक आम लोगों को ये नहीं पता था कि वो जो चिकन-मटन का सेवन कर रहे हैं, वो खाने लायक है या नहीं. ऐसे में ETV भारत अपनी इस खबर के जरिए यह अपील करता है कि बाजार से मटन-चिकन खरीदने के पहले एक बार ये जरुर चेक कर लें कि ये आपके सेहत के लिए लाभदायक है या हानिकारक.