जबलपुर। वैसे तो हर जगह होली मनाने का अपना अलग ही अंदाज है, लेकिन होली पर बुंदेली गीतों की धूम पूरे देश में है. इन लोकगीतों के बिना बुंदेली होली अधूरी है. इन गीतों में कहीं न कहीं बुंदेलखंड की माटी की महक आती है. होली पर फाग और राई नृत्य के साथ लोग जमकर झूमते हैं. इन लोकगीतों के जरिए आपसी सबंधों को लेकर मजाक की बातें भी होती है. जिसमें कुछ मीठी तो कुछ कड़वी होती हैं, लेकिन होली की मस्ती में इस मजाक का कोई बुरा नहीं मानता.
होली के रंग बुंदेली लोकगीतों के संग, कलाकारों ने बांधा समा - होली पर फाग और राई नृत्य
होली का त्योहार केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि संबंध सुधारने का त्योहार है, इसलिए समाज के ताने बाने को बनाए रखने के लिए 'होली के रंग बुंदेली गीतों के संग' मनाने का अपना ही महत्व है.
बुंदेली गीतों के साथ होली का आगाज
मिठाई लाल चक्रवर्ती का कहना है कि, बुंदेली लोकगीतों की बात ही निराली है और बुंदेली जानने वालों के लिए इनसे अच्छा कोई संगीत नहीं हो सकता. फिल्मी होली गीतों में भी बुंदेलखंडी कनेक्शन जग जाहिर है. रंगों की बौछार के बीच गुलाल-अबीर से सने चेहरों वाले फगुआरों के होली गीत (फाग) जब फिजा में गूंजते हैं, तो ऐसा लगता है मानों श्रृंगार रस की बारिश हो रही है.