जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में अवैध तरीके से बेचे जा रहे और मिलावटी दूध को लेकर सरकार को घेरे में लिया है. अदालत ने वैध लाइसेंस लिए बिना, महंगे दाम और मिलावटी दूध पर की गई कार्रवाई को लेकर मध्यप्रदेश सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
सरकार नहीं उठा रही ठोस कदम:नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से वर्ष 2017 में संबंधित याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया था कि कलेक्टर द्वारा 3 फरवरी 2017 को दूध के दाम निर्धारित किए गए थे. उक्त आदेश के बाद से ही बाजार में मिलावटी दूध मिलना शुरू हो गया. वेंडर रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के बिना दूध का कारोबार किया जा रहा है. याचिका में राहत चाही गई है कि पैक्ड दूध की बिक्री सुनिश्चित की जाए. जिसमें दूध के प्रकार व फैट की मात्रा अंकित हो. इसके साथ ही निजी डेरी वालों के लिए भी दाम निर्धारित किए जाए. आवेदक की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने न्यायालय को बताया कि अदालती आदेश के बाद कुछ कार्रवाई तो हुई लेकिन वर्ष 2019 से लेकर 2023 तक क्या कार्रवाई की गई, इसकी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है. सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी नागरिकों को उचित मूल्य पर शुद्ध दूध मिले. इसकी जगह मनमाने दामों पर दूध बेचा जा रहा है. मिलावटी दूध और नियम विरुद्ध दूध बेचने के बावजूद सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाने के कारण आम जनता को नुकसान हो रहा है.