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कोरोना वायरस निजी अस्पतालों के लिए कमाई का जरिया ना बने- हाईकोर्ट

एक निजी अस्पताल ने पैसे नहीं चुकाने पर बुजुर्ग को बंधक बनाया था, जिस मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में चल रही है. हाईकोर्ट ने कोरोना के महंगे इलाज पर राज्य सरकार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन से जवाब मांगा है. सरकार की ओर से वकीलों ने कोर्ट में बताया कि मामले में संबंधित निजी अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और पीड़ित मरीज को अस्पताल से रिहा भी करवा दिया गया है.

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Published : Sep 4, 2020, 3:05 AM IST

जबलपुर। शाजापुर के एक निजी अस्पताल ने पैसे ना चुकाने पर 80 साल के एक बुजुर्ग को पलंग से बांध दिया था. दिल्ली के वरिष्ठ वकील डॉ. अश्वनी कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजकर शाजापुर के निजी अस्पताल में बिल का भुगतान ना होने पर एक बुजुर्ग को बंधक बनाकर रखे जाने का आरोप लगाया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला प्रदेश के हाई कोर्ट को भेजा था और यहां इसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की जा रही है. वहीं इस मामले के साथ हाईकोर्ट ने दो हस्तक्षेप याचिका पर भी सुनवाई की और कोरोना का निजी अस्पताल में महंगे इलाज को लेकर निजी अस्पतालों के लिए एक गाइडलाइन बनाने की मंशा जताई है.

नमन नागरथ, वरिष्ठ वकील

याचिका की सुनवाई के दौरान दो हस्तक्षेप याचिकाएं भी दायर की गई हैं. ये हस्तक्षेप याचिकाएं कोरोना के इलाज के लिए निजी अस्पतालों के इलाज की महंगी दर और राज्य सरकार के इस मसले पर गाइडलाइन बनाने के लिए दायर की गई है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस सुजय पाॅल की बैंच ने निजी अस्पतालों को लेकर टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कोरोना के महंगे इलाज पर राज्य सरकार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन से जवाब मांगा है.

प्रदेश के हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन बनाए जाने की मंशा जताई है, हाईकोर्ट का मानना है कि पैसों के अभाव में कोई भी मरीज इलाज से वंचित ना हो, इसके लिए सरकार दिशा निर्देश तैयार करे. हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को तय की है, बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डॉ. अश्विनी कुमार ने इस मामले पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को 8 जून को एक पत्र लिखा था.

सुप्रीम कोर्ट ने ये पत्र मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को भेजा था, जिसे चीफ जस्टिस ए के मित्तल ने जनहित याचिका के रुप में स्वीकार कर लिया था. सरकार की ओर से वकीलों ने कोर्ट में बताया कि मामले में संबंधित निजी अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और पीड़ित मरीज को अस्पताल से रिहा भी करवा दिया गया है. ऐसे में हाईकोर्ट ने पूरे घटनाक्रम पर केंद्र और राज्य सरकार सहित शाजापुर के कलेक्टर-सीएमएचओ से मामले में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी.

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