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कोरोना महामारी: सोमोटो याचिका पर हाई कोर्ट आज सुना सकता है फैसला - Jabalpur News

कोरोना वायरस से जुड़े हुए कई बड़े मुद्दों पर आज मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का बड़ा फैसला सुना सकती है. प्रदेश में कोरोना महामारी की हालत पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने कई मामलों पर सरकार को फटकार लगाई है.

Madhya Pradesh High Court
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

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Published : Apr 29, 2021, 10:42 AM IST

Updated : Apr 29, 2021, 11:17 AM IST

जबलपुर।मध्य प्रदेश में कोरोना संकट के बीच इलाज की अव्यवस्थाओं के मामले पर जबलपुर हाई कोर्ट में आज सुनवाई की गई. प्रदेश के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की डिवीजन बेंच ने मामले पर लिए गए स्वतः संज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर करीब 3 घंटे तक सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई.

कोर्ट मित्र
  • राज्य सरकार ने दिया ये जवाब

हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में जारी किए गए आदेशों का क्या पालन हुआ? यह बताने के लिए राज्य सरकार ने 17 पन्नों की कम्प्लायंस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की. हालांकि राज्य सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ताओं के वकील वकीलों और कोर्ट मित्र ने कई आपत्तियां दर्ज करवाई हैं. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने चार से पांच मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई की और मौजूदा स्थितियों पर अपनी चिंता भी जताई. हाई कोर्ट ने पाया की कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद मध्य प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है, जिस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर ऐसे हालातों में रेमडेसिविर इंजेक्शन का आयात क्यों नहीं किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर कोरोना जांच में हो रही देरी पर भी हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई.

  • ऑक्सीजन के लिए केंद्र पर निर्भर है सरकार

हाई कोर्ट ने पाया कि उसके पूर्व आदेश के मुताबिक अधिकतम 36 घंटों के भीतर आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मिल जानी चाहिए थी, लेकिन आज भी प्रदेश में कई जगहों पर सैंपल रिपोर्ट आने में 5 से 6 दिनों तक का वक्त लिया जा रहा है. इधर मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत पर हाईकोर्ट ने पाया कि मध्य प्रदेश सरकार ऑक्सीजन के मामले पर पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर है. कोर्ट ने पाया कि एक ओर केंद्र सरकार पर निर्भरता और दूसरी ओर मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन ना होने की वजह से प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत के यह हालात बने हैं. मामले पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने प्रदेश में डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल और कोविड केयर सेंटर्स की कमी पर भी चिंता जताई.

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  • पहले से ही था अंदेशा

सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र नियुक्त किए गए सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर फरवरी-मार्च में ही दस्तक दे चुकी थी. जिसकी जानकारी उन्होंने एक आवेदन के जरिए भी सरकार को दी थी, लेकिन सरकार सो रही थी, जिसने वक्त रहते कोई कदम नहीं उठाए. कोर्ट मित्र की ओर से कहा गया कि अब तक प्रदेश सरकार सिर्फ पीएम केयर्स फंड और चैरिटी के तहत ऑक्सीजन की व्यवस्था में जुटी रही, जबकि उसने अपने दम पर एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया. वहीं दूसरी ओर सरकार ने अपने जवाब में यह दावा किया कि प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में बेड्स की पर्याप्त व्यवस्था है. जिसकी ऑक्युपेंसी भी कम है, इस पर याचिकाकर्ताओं और कोर्ट मित्र की ओर से सख्त आपत्ति जताई गई और कहा गया कि प्रदेश में लोगों को अस्पताल में बैड नहीं मिल रहे हैं, फिर भी सरकार का ऑक्युपेंसी कम बताना गलत है.

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  • चीफ जस्टिस ने पक्षों को 3 घंटे तक सुना

बहराल करीब 3 घंटे तक चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को विस्तार से सुना. हाई कोर्ट ने मामले पर आदेश जारी करने के लिए आज की तारीख तय की है. आज हाई कोर्ट मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों की इलाज की व्यवस्था सहित रेमडेसिविर और ऑक्सीजन के मुद्दे सहित कई बिंदुओं पर सरकार को अपना आदेश जारी करेगी.

Last Updated : Apr 29, 2021, 11:17 AM IST

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