जबलपुर। डुमना एयरपोर्ट विस्तार के लिए कई सालों से स्थापित बस्ती को हटाए जाने की संभावना को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ ने डुमना एयरपोर्ट विस्तार मामलें में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए अपने आदेश में कहा कि विस्थापितों के पुर्नावास के संबंध में राज्य सरकार निर्णय लें.
डुमना विस्थापितों के पुर्नावास के संबंध में राज्य सरकार लें निर्णय: HC - जबलपुर हाईकोर्ट
जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट विस्तार के लिए 100 सालों से स्थापित बस्ती हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने विस्थापितों के पुर्नावास के संबंध में राज्य सरकार को निर्णय लेने के आदेश दिए है.
याचिकाकर्ता अमित यादव सहित अन्य की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि डुमना रोड स्थित कच्छी बस्ती में उनका परिवार झुग्गी झोपड़ी बनाकर दशकों से निवासरत है. शासकीय रिकाॅर्ड में जमीन शासकीय भूमि के नाम पर दर्ज है. तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार 100 सालों से उनका परिवार उक्त भूमि में निवासरत है. डुमना एयरपोर्ट विस्तार के लिए दी गई सरकारी जमीन में उनकी बस्ती की जमीन भी शामिल है. बस्ती में 100 से अधिक परिवार रहते है और एयरपोर्ट के विस्तार के लिए नाम-जोख का कार्य शुरू हो गया है.
सरकार की तरफ युगलपीठ को बताया गया कि डुमना एयरपोर्ट विस्तार के लिए 65 हैक्टेयर जमीन में दी गई है. जिसमें दो हैक्टेयर में बनी बस्ती भी शामिल है, जो सरकारी रिकाॅर्ड के नजूल की जमीन के नाम पर दर्ज है. युगलपीठ ने डुमान विमानतल विस्तार मामलें में हस्ताक्षेप करने से इंकार करते हुए कहा कि प्रभावित पक्ष ने जिला कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन दिया है. एयरपोर्ट विस्तार में बस्ती को हटाया जायेगा या नहीं और उनके पुर्नावास के संबंध में राज्य सरकार निर्णय लें. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता एस के मिश्रा ने पैरवी की.