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नफरत फैलाने वाले समाचार चैनल्स को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई - HC

उच्च न्यायालय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कानून बनाए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी कानून नहीं बनाया गया है. वहीं याचिका की सुनवाई के दौरान सूचना एवं प्रचारण मंत्रालय द्वारा जवाब पेश करने का समय मांगा गया. अब अगली सुनवाई 19 अप्रैल को निर्धारित की गई है.

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Published : Mar 9, 2021, 8:13 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 12:44 AM IST

जबलपुर। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कानून बनाए जाने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर है. याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी कानून नहीं बनाया गया है. वहीं याचिका की सुनवाई के दौरान सूचना एवं प्रचारण मंत्रालय द्वारा जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला ने आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को निर्धारित की है.

नहीं हुई कोई कार्रवाई

दमोह निवासी मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव जया ठाकुर की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि एक निजी टीवी चैनल के खिलाफ उन्होंने पूर्व में याचिका दायर की थी. उक्त याचिका में कहा गया था कि निजी चैनल कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की छवि प्रभावित करने के लिए समाचार प्रसारित कर रहा है. ये चैनल लोगों में नफरत फैलाने का काम कर रहा है. इस चैनल के द्वारा नक्सलवादी, देशद्रोही, जिहादी जैसे शब्दों का उपयोग किया जाता है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए घातक है. अपने प्रोग्राम में हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई समाज सहित अन्य समाज को बांटने का कार्य कर रहा है. इस संबंध में उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उनके द्वारा लिखित तौर पर शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

सूचना एवं प्रचारण मंत्रालय को देना होगा जवाब

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जया ठाकुर ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि चैनल का प्रसारण एयरवेव से होता है. उनका कार्य लोगों तक सूचना पहुंचाना है. याचिका में मांग की गई थी कि चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए एयरवेव के उपयोग पर रोक लगाई जाए. याचिका का निराकरण करते हुए युगलपीठ ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिए थे. युगलपीठ ने अभ्यावेदन का निराकरण तीन माह में करने के निर्देश दिए थे. अभ्यावेदन पेश करने के बावजूद भी निर्धारित समय सीमा पर कोई कार्यवाही नहीं की गई.

अभी तक कोई कानून नहीं

याचिका में कहा गया था कि देश में एक हजार से अधिक चैनल प्रसारित हो रहे है, जो एयरवेव का फ्री उपयोग कर रहे है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वह समाज में जहर फैलाने का काम कर रहे है. पूर्वग्रसित होकर कार्यक्रम का प्रसारण करते है. इसके लिए कोई कानून नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में कानून बनाने के निर्देश दिये थे, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है.

याचिका की सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जवाब पेश करने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अनूप जाॅर्ज और अधिवक्ता वरूण ठाकुर ने पक्ष रखा.

Last Updated : Mar 10, 2021, 12:44 AM IST

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