जबलपुर। बालाघाट के भादू कोटा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा के खिलाफ लगी याचिका को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, इसके साथ ही जज ने याचिकाकर्ता के वकील को जमकर फटकार भी लगाई है. दरअसल याचिकाकर्ता का दावा किया था कि "भादूकोटा आदिवासियों के देवता बड़ा देव का पूजन स्थल है और रामकथा से आदिवासियों की भावनाएं आहत होती हैं."
बड़ादेव के स्थान पर रामकथा पर आपत्ति:ग्राम भादू कोटा के आयोजन स्थल को लेकर स्थानीय आदिवासियों ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए 22 मई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में राम कथा के स्थल को परिवर्तित करवाने के लिए एक याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस विवेक अग्रवाल के सामने अपने तर्क पेश किए, जिसमें याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जिस जगह पर राम कथा का आयोजन किया जा रहा है, वह आदिवासी समाज के देवता बड़ा देव का पूजा स्थल है और इस स्थान पर राम कथा के आयोजन से आदिवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है.
वकील और जज के बीच गंभीर बहस के बाद याचिका खारिज:मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने याचिकाकर्ता एडवोकेट से पूछा कि वह किस की ओर से यह आपत्ति लेकर हाईकोर्ट आए हैं, इसके जवाब में एडवोकेट जीएस उड़वे ने जस्टिस विवेक अग्रवाल को बताया कि वह सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष गोवर्धन मरावी की ओर से इस याचिका को प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन सर्व आदिवासी समाज ने गोवर्धन मरावी को अपना अध्यक्ष माना है, इसकी कोई जानकारी याचिका में नहीं दी गई थी और ना ही सर्व आदिवासी समाज किसके लिए काम करता है. इसका क्या संविधान है, इसकी जानकारी याचिका में नहीं लिखी गई थी. जस्टिस विवेक अग्रवाल को याचिकाकर्ता के वकील इस बात का जवाब नहीं दे पाए, इसके अलावा याचिकाकर्ता के वकील इस बात का जवाब भी नहीं दे पाए कि आखिर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा से आदिवासियों की भावनाएं किस तरह से आहत हो रही हैं. इसी बीच में जब एडवोकेट और जज के बीच में बहस हुई, तब जस्टिस विवेक अग्रवाल ने याचिका को अधूरी मानते हुए खारिज कर दिया.
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वकील को जेल पहुंचाने की हिदायत:याचिकाकर्ता के वकील हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल के सवालों का सही सही जवाब नहीं दे पाए, इसके बाद जस्टिस विवेक अग्रवाल और याचिकाकर्ता वकील के बीच में बहस की स्थिति बन गई. जस्टिस विवेक अग्रवाल ने एडवोकेट जी.एस. उदवे के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के नोटिस जारी करने की बात भी कही, इसके साथ ही उन्होंने वकील साहब को तमीज से पेश आने और जेल पहुंचाने की हिदायत भी दी.
इससे पहले भी खारिज हो चुकी है याचिका:इसके पहले भी पंडित धीरेंद्र शास्त्री की सभा के आयोजन पर रोक लगाने के लिए एक याचिका दायर की गई थी, उसे भी अधूरी मानते हुए हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. फिलहाल अब आज से यह आयोजन शुरू हो गया है, जो 23 और 24 मई को बालाघाट में संपन्न होगा.