जबलपुर।मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन के क्रियान्यवन पर रोक लगाते हुए अनावेदकों से जवाब मांगा था. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व पर पारित आदेश में संशोधन के लिए दायर आवेदन पर जवाब पेश करने का समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है.
सात साल पहले का नोटिफिकेशन
संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मध्यप्रदेश शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. इसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेड़ों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंचाया जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जोकि अनुचित है. नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई शुरू हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइवे तथा स्टेट हाइवे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है.