जबलपुर।डुमना हवाई अड्डा रोड के चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यों के लिए हरे-भरे जंगल को काटे जाने के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, इसके लिए हाईकोर्ट ने 4 सदस्यीय कमेटी बनाई थी, याचिका की सुनवाई के दौरान गठित चार सदस्यीय कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश की. वहीं कमेटी के आग्रह पर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी के शुक्ला ने अंतिम रिपोर्ट पेश करने का समय बढ़ा दिया, अब अगली सुनवाई 19 अप्रैल को तय की गई है.
- हरे-भरे पेड़ों को काटने पर याचिकाकर्ता की दलीलें
दरअसल गढ़ा गंगा नगर कॉलोनी निवासी निकिता खंपरिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि डुमना के हरे-भरे जंगल को केन्द्र सरकार की बिना अनुमति लिए काटा जा रहा है, जो कि अवैधानिक है. उनकी दलीले है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यो के नाम पर शहर के जंगल को काटा जा रहा है. इसके लिए नगर निगम की अनुमति को दर्शाया जा रहा है. वह पर्याप्त नहीं है याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गई अंडरटेकिंग में कहा गया था कि हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटा जाए, बल्कि उन्हें संरक्षित किया जाएगा, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगे कि सड़क निर्माण पर कितने की पेड़ काटने की आवश्यकता है और कितने नए पेड़ लगाए जाएंगे.
- सरकार का जवाब
वहीं सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार 600 पेड़ काटे जाएंगे, एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक पेड़ के बदले में 20 पौधे लगाकर उनका 5 साल तक संरक्षण किया जाएगा, हम एक पेड़ के स्थान पर 25 पौधे लगाने को तैयार है मिट्टी किन पेड़ों के लिए अच्छी है, इसकी जांच फाॅरेस्ट रिसर्ज सेंटर से कराई जा रही है याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि बडी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, जिसमें से कई पेड़ बहुत पुराने है सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि सड़क की चौड़ाई 145 फुट से घटाकर 100 फुट कर दी गई, पेड़ अधिक पुराने नहीं है. जिसकी जांच के लिए कोर्ट कमीशन का गठन कर दिया जाए.