जबलपुर। सहायक आबकारी आयुक्त के कारण प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए की क्षति होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी के पूर्व मंत्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई मंगलवार को हुई. याचिका में कहा गया है कि जबलपुर के पूर्व तीन कलेक्टरों ने सहायक आयुक्त आबकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी. इसके बावजूद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. शिकायत मिलने पर लोकायुक्त ने दस्तावेज मांगे थे, जो अब तक उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है.
प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सहायक आबकारी आयुक्त सत्य नारायण दुबे ने CST कैंटीन को तीन महीने तक लाइसेंस जारी नहीं किया था. इस कारण शासन को करीब 6 करोड़ रुपए की हानि हुई है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा दुकान मूल्य की दो महीने की राशि जमा कराए बिना ही आहात संचालित करने की अनुमत्ति प्रदान कर दी. वहीं साल 2019-20 का कोई हिसाब नहीं है. ठेका खत्म होने पर बचे हुए 17 सौ कार्टूनों का विनिष्टीकरण नहीं किया गया है. इतना ही नहीं कोरोना काल में ठेकेदारों से सुरक्षा निधि और लाइसेंस फीस जमा करवाए बिना ही उन्हें दुकान संचालित करने की अनुमत्ति प्रदान की गई थी.
पढ़ें-हाईकोर्ट ने निरस्त की तेंदुए को लेकर दर्ज हुई याचिका, लगातार निगरानी कर रहा वन विभाग
याचिका में कहा गया था कि पूर्व कलेक्टर महेश चंद्र चौधरी, छवि भारद्वाज और भरत यादव ने सहायक आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए शासन को पत्र लिखा था. इसके बावजूद भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. सहायक आबकारी आयुक्त के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत दर्ज करवाई गई थी. लोकायुक्त ने विभाग से संबंधित दस्तावेज मांगे थे, जो अब तक उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं.