जबलपुर। कोरोना के संकट काल में स्कूल- कॉलेज बंद हैं, हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है लेकिन फीस को लेकर अभी भी विवाद की स्थिति बनी हुई है. प्रदेश भर में स्कूल फीस माफ करने को लेकर 7 याचिकाएं दायर की गई हैं, आज जबलपुर हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई हुई, जहां सीबीएसई बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा मंडल, राज्य सरकार और निजी स्कूलों को अपने- अपने जवाब पेश करने के लिए कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.
कोरोना वायरस की वजह से बीते 3 महीने से स्कूल बंद हैं और अभी भी स्कूलों में कामकाज शुरू नहीं हो पाया है, केवल कुछ स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं, इसके एवज में स्कूलों के द्वारा फीस मांगी जा रही है, अभिभावकों का कहना है कि, जब स्कूल ही नहीं खुले हैं, तो फिर फीस क्यों ली जा रही है.
इस मुद्दे पर प्रदेश भर में अलग-अलग 7 याचिकाएं दायर की गई थी, इन सभी याचिकाओं की जबलपुर हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस याचिका में कुछ निजी स्कूल, सीबीएसई बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राज्य सरकार सभी को पार्टी बनाया गया है, लेकिन सभी ने अभी तक अपना जवाब पेश नहीं किया है, इसलिए इस मुद्दे पर आज अंतिम निर्णय नहीं हो पाया. इस मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त के लिए तय की गई है, तब तक सभी पक्षों को अपने जवाब पेश करने हैं.
फिलहाल राज्य सरकार ने जो फैसला दिया था कि, स्कूल केवल ट्यूशन फीस ले सकते हैं, वो आदेश ही मान्य माना जा रहा है. कोर्ट ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि इस बीच में कुछ स्कूलों ने जरूर दरियादिली दिखाकर याचिकाकर्ता के पास अपनी चिट्टियां भेजी हैं, जिसमें उन्होंने यह कहा है कि, वो अपने स्कूल की पूरी फीस माफ कर रहे हैं, इसमें नरसापुर और भोपाल के कुछ स्कूल शामिल हैं.
बहरहाल अभी तक अभिभावकों के सामने स्थिति स्पष्ट नहीं है कि वे फीस जमा करें या ना करें. ज्यादातर अभिभावकों ने फीस जमा कर दी है, अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि, जो फीस उन्होंने जमा की है, स्कूल उसको आने वाले समय में कोर्ट के आदेश अनुसार एडजस्ट करेंगे या नहीं.