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सरकार ने भ्रष्टाचार कर MP Wildlife Board का पुनर्गठन किया, हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका - टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश

हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि MP Wildlife Board के पुनर्गठन में नियमों का पालन नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि सरकार ने पुनर्गठन में भ्रष्टाचार किया है. इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए चार हफ्तों बाद तय की गई है.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाई कोर्ट

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Published : Jun 26, 2021, 11:04 PM IST

जबलपुर। Madhya Pradesh Wildlife Board के पुनर्गठन में नियमों का पालन नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था पूर्व सरकार ने जो बोर्ड गठित किया था उसे भंग कर नया बोर्ड गठित कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि नव गठित कमेटी में उन व्यक्तियों को रखा गया है, जिन्हें वाइल्ड लाइफ का ज्ञान नहीं है. सिर्फ उसमें रूचि रखते है. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने का समय देते हुए संबंधित व्यक्तियों को अनावेदक बनाने के निर्देश दिए है.

  • बोर्ड का गठन किया जाना अवैधानिक

भोपाल निवासी अजय दुबे की ने 2019 में याचिका दायर की थी. इस याचिका में कहा था कि मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्ज मिला है. वन प्राणियों के संरक्षण में मध्य प्रदेश वाइल्ड लाईफ बोर्ड की भूमिका अहम रहती. प्रदेश सरकार ने 3 अगस्त 2019 को वाइल्ड लाइफ बोर्ड का पुनर्गठन किया, लेकिन वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 6 के तहत प्रदेश सरकार ने आवश्यक नियम नहीं बनाए. जिसके अभाव प्रदेश राज्य वन्य प्राणी बोर्ड का गठन किया जाना अवैधानिक है. पुनर्गठित वन्य प्राणी संरक्षण बोर्ड में अनुसूचित जनजाति के दो गैर सरकारी सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है, जो नियम का उल्लंधन है. इसके अलावा राशीद किदवई, केके सिंह और बृजेश सिंह को वन्य प्राणी में रूचि होने के कारण सदस्य बनाया गया है.

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  • बोर्ड में हुई अयोग्य सदस्यों की नियुक्ति

याचिका में कहा गया है कि राजनैतिक सिफारिशों, भाई-भतीजावाद और भ्रष्ट आचरण के कारण बोर्ड में अयोग्य सदस्यों की नियुक्ति हुई. याचिका में बोर्ड को भंग किए जाने की राहत मांगी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किए गए जवाब में कहा गया था कि पूर्व में गठित बोर्ड को भंग कर दिया गया. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में नए बोर्ड का गठन कर दिया गया है. याचिकाकर्ता को बताया गया कि नवगठित बोर्ड में भी डाॅ. सुरेन्द्र तिवारी और अभिलाष खांडेकर को वन्य प्राणी में रूचि होने के कारण सदस्य बनाया गया है.

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