जबलपुर। मुस्लिम युवक द्वारा बेटी का तीसरी बार अपहरण किये जाने का आरोप लगाते हुए कैंसर पीडित विधवा मां ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा को बताया गया कि युवती ने खुद एक वीडियो जारी किया है. इसमें उसने कहा है कि वह अपनी सहमति से मुस्लिम युवक के साथ जा रही है. इसके अलावा युवती ने 10 से 27 मई 2022 के बीच खुद मुस्लिक युवक को फोन लगाया था. युगलपीठ ने प्रकरण को आपसी स्वैच्छा का मानते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया.
कैंसर पीड़ित मां ने दायर की थी याचिका :कैंसर पीड़ित विधवा महिला की तरफ से दायर प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर में कहा गया था कि आषिक अंसारी नामक युवक उसकी बेटी को बंदूक दिकाकर 24 अप्रैल 2018 को अपने साथ ले गया था. उसकी मां उसे को बचाने दौड़ी तो उन्हें हार्ट अटैक आया था. घटना के 13 दिन बाद 7 मई 2018 को बेटी वापस लौटी थी और उसने अपने बयान में बताया था कि युवक उसके जबरदस्ती ले गया था और एक कागज में हस्ताक्षर करवाये थे.
बेटी के अपहरण का आरोप :इसके अलावा युवक ने उसका शारीरिक शोषण भी किया था. इसके बाद युवक पुनः 14 जुलाई 2018 को मां की हत्या करने की धमकी देते हुए उसकी बेटी को अपने साथ ले गया था. युवक ने फोन कर पीड़िता से फिरौती के रूप में 50 हजार रुपये मांगे थे, जिसकी रिकॉर्डिग उपलब्ध है. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को कटनी से गिरफ्तार कर पीड़िता की बेटी को छुडाया था. आरोपी युवक 27 मई 2022 को पुन- घर से उसकी बेटी का अपहरण कर ले गया. दो माह का समय गुजर जाने के बावजूद पुलिस उसकी बेटी को नहीं तलाश पाई.
MP High Court : मुस्लिम युवक ने हिंदू युवती का तीसरी बार किया अपहरण, हाई कोर्ट ने दिखाई सख्ती
युगलपीठ ने की याचिका पर सुनवाई :याचिका की सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि साल 2018 में दर्ज दोनों प्रकरण न्यायालय में लंबित हैं. युवती स्वैच्छा से युवक के साथ गयी है. इस संबंध में उसने वीडियो भी जारी किया है. युवक की शादी डेढ़ साल पूर्व हो गयी थी. दोनों फोन पर एक -दूसरे से बात करते थे. कॉल डिटेल के अनुसार युवती ने 10 मई से 27 मई के बीच खुद से 12 कॉल युवक को किये थे. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. सरकार की तरफ से अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने पैरवी की. (Girl went with Muslim of youth voluntarily) (Petition of mother rejected in High Court)