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कोरोना काल में बदला कोचिंग का स्वरूप, स्टूडियो में सिमटा पूरा सेंटर, छात्रों का घर बना क्लासरूम - Jabalpur News

कोरोना काल ने शिक्षा का स्वरूप भी बदल दिया है. इससे कोचिंग सेंटर भी अछूते नहीं रहे हैं. पहले जहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स से ये कोचिंग सेंटर संचालित होते थे, अब वे शिक्षकों के घर में बने एक स्टूडियो में तब्दील हो गए हैं और बच्चों के घर क्लासरूम में बदल गए हैं. देखें ये रिपोर्ट...

Form of coaching shift to online in Corona era
कोरोना काल में बदला कोचिंग का स्वरूप

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Published : Aug 7, 2020, 4:59 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस की वजह से समाज में कई परिवर्तन हुए हैं. इनमें एक शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव देखने मिल रहा है. जहां पहले क्लासरूम शिक्षक छात्रों को पढ़ाते थे, वहीं अब ये तरीका बदल गया है. छात्रों के घर ही क्लासरूम बन गए हैं और उन्हें ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. कोचिंग क्लास भी इससे अछूते नहीं रहे, कोरोना वायरस ने इसका रूप बदल दिया है. अब शिक्षक क्लास की बजाए इंटरनेट के जरिए छात्रों को पढ़ा रहे हैं.

कोरोना काल में बदला कोचिंग का स्वरूप

घर बना क्लासरूम

पहले जहां बड़ी-बड़ी इमारतों में कोचिंग क्लास लगती थीं, अब इसकी जरूरत खत्म हो गई है. शिक्षक के घर का एक कोना कोचिंग क्लास के लिए स्टूडियो बन गया है. जहां से शिक्षक एक बोर्ड पर छात्रों को पढ़ाते हैं. छात्रों को ऑनलाइन मीटिंग एप के जरिए जोड़ा जाता है. लिहाजा अब छात्रों की भी आने जाने की झंझट खत्म हो गई है और उनका घर ही क्लासरूम बन गया है.

ऑफलाइन क्लासरूम

दूर-दराज के छात्र भी ले रहे शिक्षा

10वीं और 12वीं के छात्रों को फिजिक्स और मैथ्स पढ़ाने वाले शिक्षक राजेश कौरव बतलाते हैं कोचिंग क्लास का ये बदला हुआ रूप अच्छा है. इसमें सबसे ज्यादा फायदा दूरदराज के छात्रों को हुआ है. राजेश अभी जिन छात्रों को पढ़ा रहे हैं, उनमें कई छात्र दूर-दराज इलाकों के हैं. कई तो विदेश में रहकर भी उनके शिक्षा ले पा रहे हैं. पहले ये मुमकिन नहीं हो पाता था.

ये हैं चुनौतियां

हालांकि अभी भी समाज का एक बहुत बड़ा तबका ऐसा भी है जहां ऑनलाइन शिक्षा के लिए बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. शहर की कूदबारी बस्ती का यही हाल है. ज्यादातर घरों में न तो इंटरनेट है और नहीं उनके पास स्मार्टफोन. ज्यादातर छात्रों के मां-बाप पढ़े-लिखे भी नहीं हैं. ऐसे में इन छात्रों तक ऑनलाइन शिक्षा कैसे पहुंचेगी ये बड़ा सवाल है.

इसी बस्ती में प्राइमरी स्कूल के छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक संदीप बताते हैं कि अभी वे एक क्लासरूम में कुछ बच्चों को पढ़ा रहे हैं, क्योंकि संकट की इस घड़ी में इनकी शिक्षा पूरी तरह रुक गई थी. साधन मौजूद नहीं थे तो ऑनलाइन पढ़ना भी मुश्किल था, लिहाजा उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग और तमाम सुरक्षात्मक उपायों को ध्यान में रखते हुए कुछ छात्रों का पढ़ाना शुरू किया है.

ऑनलाइन शिक्षा का ये बदला हुआ रूप अब स्थाई होता जा रहा है. लेकिन इस व्यवस्था के जितने फायदे हैं, तो नुकसान को भी नकारा नहीं जा सकता है. फायदा ये है कि कोरोना काल में भी छात्रों की पढ़ाई नहीं रुक रही है. लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. वहीं समाज का एक बड़ा तबका शिक्षा से सिर्फ इसलिए वंचित रह जाएगा क्योंकि उसके पास बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.

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