जबलपुर।भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा सबसे पहले जबलपुर में फहराया गया था. 18 मार्च 1923 को जबलपुर के चार क्रांतिकारी सीताराम यादव, परमानंद जैन, उस्ताद प्रेमचंद और उस्ताद खुशहाल ने तिरंगे झंडे लेकर जबलपुर के विक्टोरिया हॉल पहुंचे. उस समय विक्टोरिया हॉल अंग्रेजों का क्लब हुआ करता था. इन चारों क्रांतिकारियों ने तिरंगे को विक्टोरिया हॉल के सबसे ऊंचे डंडे पर लगा दिया. इसके बाद अंग्रेजी पुलिस अफसरों ने चारों क्रांतिकारियों को बहुत परेशान किया, लेकिन इसके बाद झंडा आंदोलन झंडा सत्याग्रह में बदल गया और जबलपुर के बाद नागपुर में भी इसी तरीके से सरकारी इमारत पर झंडा फहराया गया. झंडा सत्याग्रह में यह तय किया गया था कि जहां पर भी चुने हुए जनप्रतिनिधि बैठेंगे. वहां तिरंगा ही फहराया जाएगा और फिर धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया.
- 18 जून को मनाया जाता है झंडा दिवस
18 मार्च 2023 को जबलपुर में पहली बार झंडा फहराने का बाद तय किया गया कि 18 जून को झंडा दिवस के रूप में मनाया जाएगा. भारत सरकार के केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के मंत्री प्रहलाद पटेल ने शुक्रवार को जबलपुर में झंडा दिवस के मौके पर एक पदयात्रा की और विक्टोरिया हॉल, जो अब गांधी भवन के रूप में जाना जाता है. वहां जाकर झंडा फहराया. इस मौके पर भारत का पहला झंडा फहराने वाली 4 क्रांतिकारियों के परिवार के लोगों को सम्मानित किया गया. इन्हीं क्रांतिकारियों में से एक परमानंद जैन के नाती का कहना है कि उन्हें अपने दादा की किए हुए काम पर गर्व है, जिन्होंने भारत का पहला झंडा फहराया था.