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किसानों को नहीं मिल रहा मक्के का उचित दाम, खेत खाली करवाने में जुटे किसान - Jabalpur maize farmers upset

जबलपुर में मक्के के किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है, मक्के की कीमत इन दिनों 8 से 9 सौ रुपये क्विंटल मिल रही है, जो लागत के हिसाब से बहुत कम है. ऐसे में किसान अब बिना कुछ लिए मजदूरों से खेत खाली करवाने में लगे हुए हैं.

Farmers are not getting fair price for maize
किसानों को नहीं मिल रहा मक्के का उचित दाम

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Published : Oct 10, 2020, 4:03 AM IST

जबलपुर। बीते कुछ सालों से जिले में खरीफ की दो ही मुख्य फसलें हैं, एक धान और दूसरी मक्का. लेकिन इस साल मक्के के दाम मात्र 800 से 900 प्रति कुंतल ही मिल पा रहा है, इसकी वजह से किसानों की फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. जिससे किसान काफी परेशान है. आलम ये है कि बिना कुछ मांगे किसान खेत खाली करवाने में लगे हुए हैं.

किसानों को नहीं मिल रहा मक्के का उचित दाम

मक्के का ज्यादातर इस्तेमाल मुर्गी दाना बनाने में होता था. लेकिन कोरोनावायरस की वजह से पोल्ट्री कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और पोल्ट्री का उत्पादन बहुत कम हो गया है. इसलिए मक्के की मांग घट गई है. पिछले साल इन्हीं दिनों मक्का 19 सौ से 2 हजार के रेट में बिक रहा था. इसी उम्मीद में किसानों ने लगभग 10 से 12 हजार रुपये प्रति एकड़ की लागत से खर्च कर दिया. अब मक्के का उत्पादन 15 क्विंटल तक हो पा रहा है, जिसे यदि 900 की दर से जोड़ा जाए तो लागत ही नहीं निकल पा रही है. इसलिए मक्का उत्पादन करने वाले किसान बहुत परेशान हैं. जबलपुर में कुछ लोगों ने तो खेत खाली करवाने के लिए मजदूरों को ही पूरा खेत सौंप दिया है, उसमें से उपज भी नहीं मांगी है.

किसानों का कहना है कि यदि सरकार गेहूं खरीदी जैसे मक्के की भी खरीदी करती तो परेशान किसानों को कुछ मदद मिल सकती थी. लेकिन इस साल तो ना तो मक्के के समर्थन मूल्य पर चर्चा हो रही है और ना ही खरीदी को लेकर कोई बात की जा रही है. हालांकि पिछले साल केंद्र सरकार ने मक्के का समर्थन मूल्य अट्ठारह सौ रुपये तय किया था लेकिन ये कोरा बयान साबित हुआ. क्योंकि जब इस रेट में कोई खरीदारी ही नहीं है तो फिर समर्थन मूल्य बढ़ा देने से किसानों को कौन सा फायदा हुआ.

पिछले कुछ सालों से सोयाबीन और मूंग की फसल पीला मोजेक बीमारी की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो जाती थी, इसीलिए लोगों ने मक्के की फसल लगाना शुरू किया था. लेकिन अब कीमत की वजह से इस फसल से भी लोगों का भरोसा उठ गया है.

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