जबलपुर। बीते कुछ सालों से जिले में खरीफ की दो ही मुख्य फसलें हैं, एक धान और दूसरी मक्का. लेकिन इस साल मक्के के दाम मात्र 800 से 900 प्रति कुंतल ही मिल पा रहा है, इसकी वजह से किसानों की फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. जिससे किसान काफी परेशान है. आलम ये है कि बिना कुछ मांगे किसान खेत खाली करवाने में लगे हुए हैं.
मक्के का ज्यादातर इस्तेमाल मुर्गी दाना बनाने में होता था. लेकिन कोरोनावायरस की वजह से पोल्ट्री कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और पोल्ट्री का उत्पादन बहुत कम हो गया है. इसलिए मक्के की मांग घट गई है. पिछले साल इन्हीं दिनों मक्का 19 सौ से 2 हजार के रेट में बिक रहा था. इसी उम्मीद में किसानों ने लगभग 10 से 12 हजार रुपये प्रति एकड़ की लागत से खर्च कर दिया. अब मक्के का उत्पादन 15 क्विंटल तक हो पा रहा है, जिसे यदि 900 की दर से जोड़ा जाए तो लागत ही नहीं निकल पा रही है. इसलिए मक्का उत्पादन करने वाले किसान बहुत परेशान हैं. जबलपुर में कुछ लोगों ने तो खेत खाली करवाने के लिए मजदूरों को ही पूरा खेत सौंप दिया है, उसमें से उपज भी नहीं मांगी है.